- छोटे निवेशकों को आंख बंद कर प्रमोटर्स के फैसले का पालन नहीं करना चाहिए
- प्रमोटर्स आकर्षक कीमतों पर शेयर खरीदने के अवसरों का इस्तेमाल करते हैं
दैनिक भास्कर
May 21, 2020, 03:24 PM IST
मुंबई. चुनिंदा फर्मों के प्रमोटर्स ने जिन कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है, उनके शेयरों में अच्छी खासी गिरावट दिख रही है। दरअसल इक्विटी में चल रही अस्थिरता का लाभ लेने के लिए प्रमोटर्स इस समय अपनी कंपनी के शेयरों में हिस्सेदारी बढ़ा रहे हैं। हालांकि कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था का आउटलुक बेहद अनिश्चित है।
24 कंपनियों में प्रमोटर्स ने हाल में बढ़ाई है हिस्सेदारी
आंकड़ों से पता चला है कि खुले बाजार में 31 मार्च तक 24 कंपनियों के प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी मजबूत की है। हालांकि शेयरों की कीमतों में भारी गिरावट के बाद बाजार नियामक सेबी ने प्रमोटर्स और अन्य इनसाइडर्स पर 1 अप्रैल से 30 जून तक कंपनियों के शेयर खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह एक असामान्य कदम है। क्योंकि कंपनियों को लॉकडाउन की वजह से आय की रिपोर्ट करने के लिए अतिरिक्त समय दिया गया है।
इन कंपनियों में प्रमोटर्स की बढ़ी है हिस्सेदारी
पिछले छह महीनों के दौरान जिन कंपनियों में प्रमोटर्स ने अपनी होल्डिंग बढ़ाई उनमें प्रमुख रूप से सन फार्मास्यूटिकल्स, ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स, दीपक फर्टिलाइजर्स, वैभव ग्लोबल, चंबल फर्टिलाइजर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, गोदरेज एग्रोव्ट, एपीएल अपोलो ट्यूब्स और गोदरेज इंडस्ट्रीज आदि शामिल हैं। सन फार्मास्यूटिकल्स (2 फीसदी तक), दीपक फर्टिलाइजर्स (3 फीसदी ऊपर) और वैभव ग्लोबल (19 फीसदी तक) को छोड़ दें तो अन्य स्टॉक्स 19 मई तक 41 प्रतिशत तक पिटे हैं।
फार्मा सेक्टर पर विश्लेषकों का है ज्यादा भरोसा
बीएसई का बेंचमार्क सेंसेक्स इसी अवधि में 20 फीसदी नीचे है। फार्मा सेक्टर पर विश्लेषकों का भरोसा ज्यादा है। कोटक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज के फंड मैनेजर अंशुल सहगल ने कहा कि रेग्युलेटरी ओवरहैंग की संभावनाएं इस सेक्टर के लिए अनुकूल हो रही हैं। इससे आय की रिकवरी की उम्मीद जगी है। सेक्टर्स के पीछे प्राइसिंग प्रेसर है। अब मूल्यांकन पांच साल के अंडरपरफॉर्मेंस के बाद बेहद आकर्षक लग रहे हैं।
कई कंपनियों के शेयर में रही गिरावट
सहगल ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण इस क्षेत्र में बहुत सारे निवेश आकर्षित होने की संभावना है। हमारा मानना है कि फार्मा को फिर से रेट किया जा रहा है। आंकड़ों से पता चलता है कि अन्य कंपनियों में, नव भारत वेंचर्स, साइंट, जमना ऑटो, जेनसर टेक्नोलॉजीज, सेंट्रम कैपिटल, वक्रांगी, ग्रीव्स क्रांम्पटन, आईआरबी इंफ्रा, बहादुर संचार, कमर्शियल सिन बैग और सीसीएल उत्पादों में अक्टूबर से मार्च की अवधि के दौरान प्रमोटर्स की होल्डिंग बढ़ गई। इन कंपनियों के शेयर इस साल अब तक 10-55 फीसदी नीचे हैं।
एक प्रमोटर कब कंपनी में हिस्सेदारी बढ़ाता है?
बाजार विशेषज्ञों की मानें तो कोई भी प्रमोटर कंपनी में हिस्सेदारी तब बढ़ाता है, जब वे शेयर में उचित मूल्य देखते हैं। या कंपनी या क्षेत्र में सकारात्मक विकास के लिए तैयार होते हैं। कई बार, वे दूसरी कंपनियों या प्रमोटर्स द्वारा संभावित जबरन अधिग्रहण को टालने के लिए भी ऐसा करते हैं। इसके अलावा प्रमोटर्स आकर्षक कीमतों पर शेयर खरीदने के भी ऐसे अवसरों का इस्तेमाल करते हैं। यह भी एक तरह से अपने कारोबार में विश्वास दिखाने के लिए होता है।
शेयरखान में कैपिटल मार्केट स्ट्रैटजी एंड इन्वेस्टमेंट्स के हेड गौरव दुआ ने कहा, हालांकि, किसी को आंख बंद कर उनका पालन नहीं करना चाहिए। क्योंकि उनका निवेश आमतौर पर छोटे निवेशकों की तुलना में लंबे समय के लिए होता है।