न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जम्मू
Updated Fri, 22 May 2020 11:05 AM IST

जम्मू-कश्मीर के पूर्व डीजीपी डॉ. एसपी वैद (फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला

ख़बर सुनें

प्रदेश में 4जी इंटरनेट की बहाली को लेकर चल रही बहस के बीच पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. शेषपाल वैद ने कहा है कि सीमा पार से इंटरनेट के जरिए साइबर जिहाद चलाया जाता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की कई एजेंसियां अखबारों में इश्तेहार देकर युवाओं को साइबर जिहाद में शामिल होने को उकसाती हैं। उन्हें बाकायदा पैसा दिया जाता है। साइबर जिहाद को इंटरनेट के जरिए जम्मू-कश्मीर का माहौल खराब करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

डॉ. वैद ने कहा कि कश्मीर घाटी में आतंकवाद की बड़ी वजह न तो गरीबी है और न ही स्थानीय समस्याएं। बिहार जैसे राज्य में गरीबी और बेरोजगारी इससे कहीं ज्यादा है। असल में यह मामला कट्टरपंथ से जुड़ा हुआ है। पाकिस्तान में बैठे बहुत से लोग केवल कश्मीर तक कट्टरपंथ की हवा पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

1995 में माहौर में बनी थी पहली वीडीसी

नमो एप पर वर्चुअल मीट के दौरान एक वक्ता ने डॉ. वैद से विलेज डिफेंस कमेटी गठन के इतिहास पर सवाल पूछा। डॉ. वैद ने बताया कि वर्ष 1995 में माहौर के एक गांव में आतंकियों के एक दल का ग्रामीणों से सामना हुआ था। सात से आठ आतंकियों से ग्रामीण भिड़ गए। दो आतंकी मार भी दिए गए।

जब यह मामला उनके संज्ञान में आया तो विलेज डिफेंस कमेटी का विचार वायरलेस मैसेज से उच्चाधिकारियों के साथ साझा किया। पुलिस लाइन से 10 बंदूकें ग्रामीणों को उपलब्ध करवाई थीं। इसी से प्रदेश में वीडीसी की शुरुआत हुई।

प्रदेश में 4जी इंटरनेट की बहाली को लेकर चल रही बहस के बीच पूर्व पुलिस महानिदेशक डॉ. शेषपाल वैद ने कहा है कि सीमा पार से इंटरनेट के जरिए साइबर जिहाद चलाया जाता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की कई एजेंसियां अखबारों में इश्तेहार देकर युवाओं को साइबर जिहाद में शामिल होने को उकसाती हैं। उन्हें बाकायदा पैसा दिया जाता है। साइबर जिहाद को इंटरनेट के जरिए जम्मू-कश्मीर का माहौल खराब करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है।

डॉ. वैद ने कहा कि कश्मीर घाटी में आतंकवाद की बड़ी वजह न तो गरीबी है और न ही स्थानीय समस्याएं। बिहार जैसे राज्य में गरीबी और बेरोजगारी इससे कहीं ज्यादा है। असल में यह मामला कट्टरपंथ से जुड़ा हुआ है। पाकिस्तान में बैठे बहुत से लोग केवल कश्मीर तक कट्टरपंथ की हवा पहुंचाने का काम कर रहे हैं।

1995 में माहौर में बनी थी पहली वीडीसी

नमो एप पर वर्चुअल मीट के दौरान एक वक्ता ने डॉ. वैद से विलेज डिफेंस कमेटी गठन के इतिहास पर सवाल पूछा। डॉ. वैद ने बताया कि वर्ष 1995 में माहौर के एक गांव में आतंकियों के एक दल का ग्रामीणों से सामना हुआ था। सात से आठ आतंकियों से ग्रामीण भिड़ गए। दो आतंकी मार भी दिए गए।

जब यह मामला उनके संज्ञान में आया तो विलेज डिफेंस कमेटी का विचार वायरलेस मैसेज से उच्चाधिकारियों के साथ साझा किया। पुलिस लाइन से 10 बंदूकें ग्रामीणों को उपलब्ध करवाई थीं। इसी से प्रदेश में वीडीसी की शुरुआत हुई।

.



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed