- सरकारी बैंकों व वित्तीय संस्थानों के सीईओ और एमडी के साथ हुई बैठक में निर्मला सीतारमण ने दिया निर्देश
- भाजपा नेता नलिन कोहली के साथ वार्तालाप में दी जानकारी, वीडियो पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर है
दैनिक भास्कर
May 23, 2020, 10:02 PM IST
नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को कहा कि बैंकों को यह निर्देश दिया गया है कि वे तीन सी- सीबीआई, सीवीसी और सीएजी से घबराए बिना योग्य ग्राहकों को ऑटोमैटिक तरीके से लोन दें। उन्होंने कहा कि शुक्रवार को सरकारी बैंकों और वित्तीय संस्थानों के सीईओ और एमडी के साथ हुई बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि सरकार लोन पर 100 फीसदी गारंटी दे रही है, लिए लोने देने में डरने की जरूरत नहीं है। उन्होंने ये बातें भाजपा नेता नलिन कोहली के साथ एक वार्तालाप में कहीं। वार्तालाप के वीडियो को पार्टी के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड किया गया है।
अतिरिक्त टर्म लोन या अतिरिक्त वर्किंग कैपिटल लोन के लिए योग्य सभी ग्राहकों को मिलेगा लोन
सीतारमण ने कहा कि कल मैंने फिर से कहा कि यदि लोन देने का फैसला गलत साबित हुआ और यदि इससे नुकसान हुआ, तो सरकार ने 100 फीसदी गारंटी दी है। किसी भी बैंक अधिकारी या बैंक को दोषी नहीं ठहराया जाएगा। इसलिए बिना डर के वे खुद फैसला लें। जो भी अतिरिक्त टर्म लोन या अतिरिक्त वर्किंग कैपिटल लोन के योग्य हों, उन्हें लोन दिया जाए।
सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को 3 लाख करोड़ रुपए का लोन पैकेज दिया है
20.97 लाख करोड़ रुपए के आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सरकार ने एमएसएमई सेक्टर के लिए 3 लाख करोड़ रुपए की इमर्जेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीएलजीएस) की घोषणा की थी। एमएसएमई सेक्टर पर कोरोनावायरस संकट का बेहद नकारात्मक असर पड़ा है। यह माना जाता है कि बैंक अधिकारी वाजिब और सही फैसले इसलिए नहीं ले पाते हैं, क्योंकि उन्हें तीन सी- केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) और नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) द्वारा प्रताड़ित किए जाने का डर सताता रहता है।
सीबीआई, सीवीसी और सीएजी के डर को खत्म करने के लिए मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं
वित्त मंत्री ने कहा कि सीबीआई, सीवीसी और सीएजी के डर को कम करने के लिए वित्त मंत्रालय ने कई कदम उठाए हैं। इसके तहत कई ऐसी अधिसूचनाओं को वापस ले लिया गया है, जिसके कारण बैंक अधिकारियों में डर बैठ गया था। ये डर बिल्कुल वाजिब थे। पिछले 7-8 महीने में मैंने बैंक अधिकारियों को कम से कम तीन बार बैठक लेकर कहा है कि उन्हें तीन सी से नहीं डरना चाहिए।
वित्त मंत्री ने आत्मनिर्भर पैकेज में सेक्टरोल नहीं बल्कि समग्र नजरिया अपनाया
वित्त मंत्री द्वारा आत्मनिर्भर भारत पैकेज के दिए ब्योरे की यह कहकर आलोचना की जा रही है कि उन्होंने आतिथ्य, वाहन और नागरिक उड्डयन सेक्टरों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के लिए कोई राहत नहीं दी। इस आलोचना का जवाब देते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार ने सेक्टर आधारित नहीं, बल्कि समग्र नजरिया अपनाया है। कृषि और बिजली क्षेत्र को छोड़कर सरकार ने सुधार कार्यों के लिए किसी अन्य सेक्टर का जिक्र नहीं किया है।
अन्य सेक्टर को भी मिल सकता है एमएसएमई पैकेज का लाभ
सीतारमण ने कहा कि जिसे हम एमएसएमई पैकेज कह रहे हैं, उसमें एमएसएमई तो शामिल है ही, उस पैकेज का लाभ अन्य सेक्टरों को भी मिल सकता है। इसलिए आप जिस सेक्टर का नाम ले रहे हैं, वे भी इस पैकेज से लाभ हासिल कर सकते हैं। पैकेज में यह नजरिया अपनाया गया है कि यदि किसी कंपनी ने बैंक से एक निश्चित सीमा तक लोन लिया है, या उसमें एक निश्चित सीमा तक निवेश हुआ है, या उसका एक निश्चित टर्नओवर है, तो यदि वे कारोबार को फिर से शुरू करने के लिए अतिरिक्त टर्म लोन या वर्किंग कैपिटल लेना चाहते हैं, तो वे ले सकते हैं।
डिजिटल तरीके से लोन दिए जाने पर जोर
वित्त मंत्री ने उम्मीद जताई कि पहली जून से बिना किसी कोलैटरल के बैंकों से नकदी का प्रवाह शुरू हो जाएगा। सीतारमण के मुताबिक बैंक अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग में उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोन सरल तरीके से मंजूर किए जाने चाहिएं। यदि संभव हो तो डिजिटल तरीके से लोन दिए जाने चाहिएं, ताकि वैयक्तिक संपर्क यथासंभव नहीं हों।