जितेंद्र भारद्वाज, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Thu, 21 May 2020 12:29 PM IST
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सार
सीआरपीएफ ने इस बारे में दिल्ली पुलिस को शिकायत दी है। चूंकि यह मामला सीधा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए विकासपुरी पुलिस स्टेशन ने यह केस स्पेशल सेल के हवाले कर दिया गया है।
विस्तार
ये मत सोचना कि हम तुम्हारे बारे में कुछ नहीं जानते। हमें सब मालूम है कि तुम यूपी की रहने वाली हो। मैं कराची से बोल रहा हूं। फोन काटने से पहले वह व्यक्ति कहता है कि अभी हम काम नहीं बता रहे हैं, पहले तुम अपनी डिमांड बताओ।
सीआरपीएफ ने इस बारे में दिल्ली पुलिस को शिकायत दी है। चूंकि यह मामला सीधा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए विकासपुरी पुलिस स्टेशन ने यह केस स्पेशल सेल के हवाले कर दिया गया है।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, सीआरपीएफ की महिला सिपाही दिल्ली आर्म्ड पुलिस ‘डीएपी’ के विकासपुरी स्थित कैंपस में संतरी की ड्यूटी पर थी। दो दिन पहले उसके पास 923055752119 नंबर से व्हाट्सएप कॉल आई। वह व्यक्ति बोला, आपसे बात करनी है और लॉटरी को लेकर कुछ बताना है। देखो, फोन मत काटना।
हमारे पास कई दूसरे बेनिफिट भी हैं। आपकी फोर्स और कैंपस में जो कुछ भी होता है, वहां चल रही सभी गतिविधियों की जानकारी हमें दे दो। हम आपको मुंह मांगी कीमत देंगे। तुम्हारी हर डिटेल हमारे पास है; तुम यूपी के बागपत की रहने वाली हो; मैं कराची से बोल रहा हूं।
अभी हम तुम्हें कोई काम नहीं बता रहे। पहले तुम केवल अपनी कीमत बताओ। सूत्रों का कहना है कि महिला सिपाही सोशल मीडिया जैसे फेसबुक आदि पर भी नहीं हैं। उसके पास जो सिम है, वह बागपत से लिया हुआ है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल अब इस मामले की तहकीकात कर रही है।
सेना ने भी एडवाइजरी जारी की थी
इससे कोई भी पाकिस्तानी जासूस उन्हें किसी ग्रुप में नही जोड़ सकेगा। उस दौरान भारतीय सेना के एक जवान का व्हाट्सएप नंबर पाकिस्तान से संबंधित किसी व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ा गया था। हालांकि इसमें जवान की कहीं कोई सहमति नहीं थी।
उसके बाद सेना ने व्हाट्सएप की सेटिंग बदलने की हिदायत दी थी। गत वर्ष जुलाई में आईबी ने भी भारतीय सेना अधिकारियों और उनके परिवार को किसी भी संदिग्ध व्हाट्सएप ग्रुप से सतर्क रहने की हिदायत दी थी।
सेना ने विशेष सावधानी बरतने के आदेश जारी करते हुए कहा था कि अधिकारी-जवान अपनी निजता और गोपनीयता उजागर करने से बचें। वे ऐसे किसी भी व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा न बनें, जो उनकी विश्वसनीयता खतरे में डाल रहा हो। इससे सैन्य बलों की गोपनीयता लीक होने का खतरा बना रहता है।