Coronavirus Case News in Hindi: वायरस को समझने के लिए भारतीयों के जीन का परीक्षण, Csir वैज्ञानिकों ने अध्ययन में लगाया – वायरस को समझने के लिए भारतीयों के जीन पर परीक्षण शुरू, अध्ययन में जुटे CSIR की वैज्ञानिकता

Bytechkibaat7

May 12, 2020 , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,


ख़बर सुनकर

भारत में कोरोना के वायरस के अब तक कई अलग-अलग रूप देखने को मिल चुके हैं। ज्यादातर रोगी ऐसे हैं जिनमें कोरोनावायरस का असर हल्का या बगैर लक्षण के साथ दिखाई दे रहा है। ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि ज्यादातर भारतीयों में कोरोनावायरस का असर काफी निष्क्रिय दिखाई दे रहा है। जबकि अमेरिका सहित दुनिया के अन्य बड़े देशों में कोरोना का सबसे तीव्र रूप नजर आ रहा है।

इसीलिए अब वैज्ञानिकों ने भारतीयों के जीन पर परीक्षण शुरू कर दिया है। हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर और मॉलीक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) में यह अध्ययन शुरू हो चुका है। सीसीएमबी के निदेशक डॉ। राकेश मिश्रा का कहना है कि इस वक्त यह जानना जरूरी है कि भारतीयों में राजनीतिक अंतर है? क्या यह अंतर निर्धारित कर रहा है कि हमरस को कैसे संभालते हैं?

इन सवालों के जबाव हासिल करने के लिए यह अध्ययन शुरू हो चुका है। इसके परिणाम आने में कुछ समय जरूर लगेगा लेकिन वैज्ञानिक तौर पर शायद हम यह निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि भारत में कोरोना का असर अलग क्यूं है? इसके लिए हल्के या बिना लक्षण वाले रोगियों के देश भर से सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। उनके जीनोम पर अध्ययन किया जा रहा है।

वास्तव में हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिकों ने तीन अध्ययन के बाद यह पता लगाया था कि भारत में 17 से ज्यादा देशों का वायरस जिसका असर भी अलग अलग दिखाई दे रहा है।

डॉ। मिश्रा बताते हैं कि अब तक के अध्ययनों में यह भी पता चल रहा है कि भारत में कोरोनावायरस के कई म्यूटेशन मिले हैं। इसीलिए देश के अलग-अलग राज्यों में मौजूद शोध संस्थानों में कोरोनावायरस के 12 हजार सूचकांक तैयार किए गए हैं।

दुनिया के सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में भारत अब 12 वें स्थान पर पहुंच गया है। मंगलवार तक स्वास्थ्य मंत्रालय ने 70,756 प्रकार के मरीजों की पुष्टि की है, जबकि जॉन एप्सकैंस यूनिवर्सिटी के अनुसार भारत में अब तक गंभीर मरीजों का आंकड़ा 71,339 पहुंच चुका है।

इस सूची में अमेरिका (13.47 लाख), रूस (2.32 लाख), स्पेन (2.27 लाख), ब्रिटेन (2.2 लाख), इटली (2.19 लाख), फ्रांस (1.77 लाख), जर्मनी (1.72 लाख), जर्मनी (1.69 लाख) , तुर्की (1.39 लाख), इरान (1.09 लाख) और 84,011 मरीज चीन में मिल चुके हैं।

जिन देशों में सबसे ज्यादा मौतें हुईं, भारत 16 वां देश है
अब तक 18 ऐसे देश हैं जहां कोरोनावायरस के कारण मरने वालों का आंकड़ा 2 हजार पार हो चुका है। इसमें भारत 16 वें स्थान पर है। जबकि पहले स्थान पर 80,684 मृत्यु के साथ अमेरिका है।

आईसीएमआर के अनुसार, एक ही बार में कोरोनोइरस की 20 हजार जांच तक संभव हैं। अभी इस तकनीक पर काम शुरू किया गया है। इसमें सीसीएमबी संस्थान भी शामिल है। इसकी पुष्टि करते हुए निदेशक डॉ। राकेश मिश्रा ने बताया कि बॉयोकॉन और सिनेज के साथ मिलकर इस पर काम किया जा रहा है। यह अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हो सकती है।

सार

इस अध्ययन के परिणामों के लिए कुछ महीने इंतजार करना पड़ सकता है। वैज्ञानिक इसके माध्यम से भारतीयों में लक्षण हल्के या नहीं दिखने के पीछे कारण जानना चाहते हैं।

विस्तार

भारत में कोरोना के वायरस के अब तक कई अलग-अलग रूप देखने को मिल चुके हैं। ज्यादातर रोगी ऐसे हैं जिनमें कोरोनावायरस का असर हल्का या बगैर लक्षण के साथ दिखाई दे रहा है। ऐसे में वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि ज्यादातर भारतीयों में कोरोनावायरस का असर काफी निष्क्रिय दिखाई दे रहा है। जबकि अमेरिका सहित दुनिया के अन्य बड़े देशों में कोरोना का सबसे तीव्र रूप नजर आ रहा है।

इसीलिए अब वैज्ञानिकों ने भारतीयों के जीन पर परीक्षण शुरू कर दिया है। हैदराबाद स्थित सेंटर फॉर सेलुलर और मॉलीक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) में यह अध्ययन शुरू हो चुका है। सीसीएमबी के निदेशक डॉ। राकेश मिश्रा का कहना है कि इस वक्त यह जानना जरूरी है कि भारतीयों में राजनीतिक अंतर है? क्या यह अंतर निर्धारित कर रहा है कि हमरस को कैसे संभालते हैं?

इन सवालों के जबाव हासिल करने के लिए यह अध्ययन शुरू हो चुका है। इसके परिणाम आने में कुछ समय जरूर लगेगा लेकिन वैज्ञानिक तौर पर शायद हम यह निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि भारत में कोरोना का असर अलग क्यूं है? इसके लिए हल्के या बिना लक्षण वाले रोगियों के देश भर से सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। उनके जीनोम पर अध्ययन किया जा रहा है।

वास्तव में हाल ही में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के वैज्ञानिकों ने तीन अध्ययन के बाद यह पता लगाया था कि भारत में 17 से ज्यादा देशों का वायरस जिसका असर भी अलग अलग दिखाई दे रहा है।

डॉ। मिश्रा बताते हैं कि अब तक के अध्ययनों में यह भी पता चल रहा है कि भारत में कोरोनावायरस के कई म्यूटेशन मिले हैं। इसीलिए देश के अलग-अलग राज्यों में मौजूद शोध संस्थानों में कोरोनावायरस के 12 हजार सूचकांक तैयार किए गए हैं।


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दुनिया में सबसे ज्यादा 12 वां देश बना भारत





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