न्यूज डेस्क, अमर उजाला, अमृतसर ( पंजाब)
Updated Thu, 21 May 2020 10:40 PM IST
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दो दिन पहले अमेरिका ने 167 भारतीयों को डिपोर्ट किया था। इन्हीं में इब्राहिम भी शामिल था। उस पर आरोप है कि उसने अपने भाई मोहम्मद फारूक की आतंकी अनवर नासर अल-अवलाकी को पैसे ट्रांसफर करने में मदद की थी। आतंकी अवलकी अमेरिका और यमन गणराज्य की दोहरी नागरिकता पाए हुए था।
उसने सोशल मीडिया का इस्तेमाल अमेरिका और उसके नागरिकों के खिलाफ जिहाद को अंजाम देने के लिए किया। अमेरिका द्वारा इस आतंकी को वैश्विक आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था। 2011 में उसे यमन में एक अमेरिकी ड्रोन द्वारा मार दिया गया था। स्थानीय पुलिस अधिकारियों ने इब्राहिम के निर्वासन पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। जानकारी के अनुसार देश की अन्य सुरक्षा एजेंसी जल्द ही इससे पूछताछ कर सकती हैं।
अमेरिका को बताया था इस्लाम के खिलाफ
सूत्रों ने बताया कि 2005 में इब्राहिम ने अपने भाई फारूक को एक ई-मेल लिखा था। इसमें उसने पूछा था कि वह कौन सा देश है जो इस्लाम के विरुद्ध जंग छेड़ रहा है। जवाब में लिखा था कि निसंदेह वह अमेरिका है।