न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
अपडेटेड सत, 09 मई 2020 08:07 PM IST

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लॉकडाउन के कारण देश के कई राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस घर छोड़ने के लिए रेलवे ने एक मई से अब तक 302 श्रमिक विशेष ट्रेनों का परिचालन किया है। रेलवे के अधिकारी ने कहा कि इस दौरान तीन लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को इन ट्रेनों में ले जाया गया है।

राष्ट्रीय रिपोर्टरों ने शनिवार को 47 ट्रेनों के संचालन की योजना बनाई है, जिसमें से 34 ट्रेनें पहले ही रवाना हो चुकी हैं।

बता दें कि हर स्पेशल ट्रेन में 24 कोच हैं। हर कोच में 72 सीटें हैं। लेकिन राष्ट्रीय संकाय की तरफ से एक कोच में केवल 54 लोगों को ही बैठाया जा रहा है। यह निर्णय सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इसके तहत किसी भी यात्री को मिडिल बर्थ नहीं दी गई है।

रेलवे ने अभी तक विशेष सेवाओं पर खर्च की घोषणा नहीं की है। हालांकि, अधिकारियों ने संकेत दिया है कि राष्ट्रीय रिपोर्टर ने हर एक राउंड के लिए लगभग 80 लाख रुपये खर्च किए हैं।

श्रमिक विशेष ट्रेनों को चलाने की शुरुआत से अब में सबसे शीर्ष मूल कोड में केरल पहले स्थान पर है। वहीं, गुजरात दूसरे स्थान पर। वहीं, प्राप्त करने वाले राज्यों में, बिहार और उत्तर प्रदेश शीर्ष राज्य बने हुए हैं।

रेलवे ने देश के कई हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस उनके घरों की ओर ले जाने के लिए एक मई से मजदूरों की गाड़ियों को चलाने की शुरुआत की। इस दौरान विपक्षी दलों ने सरकार पर ट्रेन यात्रा के लिए मजदूरों से पैसे वसूलने का आरोप लगाया। हालांकि, सरकार की ओर से बताया गया कि 85 प्रतिशत किराया रेलवे की तरफ से शुरू किया जा रहा है और शेष 15 प्रतिशत राज्य सरकार की तरफ से वित्तपोषण किया जा रहा है, जिसका अनुरोध पर एक ट्रेन चलाई जा रही है।

लॉकडाउन के कारण देश के कई राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस घर छोड़ने के लिए रेलवे ने एक मई से अब तक 302 श्रमिक विशेष ट्रेनों का परिचालन किया है। रेलवे के अधिकारी ने कहा कि इस दौरान तीन लाख से अधिक प्रवासी मजदूरों को इन ट्रेनों में ले जाया गया है।

राष्ट्रीय रिपोर्टरों ने शनिवार को 47 ट्रेनों के संचालन की योजना बनाई है, जिसमें से 34 ट्रेनें पहले ही रवाना हो चुकी हैं।

बता दें कि हर स्पेशल ट्रेन में 24 कोच हैं। हर कोच में 72 सीटें हैं। लेकिन राष्ट्रीय संकाय की तरफ से एक कोच में केवल 54 लोगों को ही बैठाया जा रहा है। यह निर्णय सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इसके तहत किसी भी यात्री को मिडिल बर्थ नहीं दी गई है।

रेलवे ने अभी तक विशेष सेवाओं पर खर्च की घोषणा नहीं की है। हालांकि, अधिकारियों ने संकेत दिया है कि राष्ट्रीय रिपोर्टर ने हर एक राउंड के लिए लगभग 80 लाख रुपये खर्च किए हैं।

श्रमिक विशेष ट्रेनों को चलाने की शुरुआत से अब में सबसे शीर्ष मूल कोड में केरल पहले स्थान पर है। वहीं, गुजरात दूसरे स्थान पर। वहीं, प्राप्त करने वाले राज्यों में, बिहार और उत्तर प्रदेश शीर्ष राज्य बने हुए हैं।

रेलवे ने देश के कई हिस्सों में फंसे प्रवासी मजदूरों को वापस उनके घरों की ओर ले जाने के लिए एक मई से मजदूरों की गाड़ियों को चलाने की शुरुआत की। इस दौरान विपक्षी दलों ने सरकार पर ट्रेन यात्रा के लिए मजदूरों से पैसे वसूलने का आरोप लगाया। हालांकि, सरकार की ओर से बताया गया कि 85 प्रतिशत किराया रेलवे की तरफ से शुरू किया जा रहा है और शेष 15 प्रतिशत राज्य सरकार की तरफ से वित्तपोषण किया जा रहा है, जिसका अनुरोध पर एक ट्रेन चलाई जा रही है।





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