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अमेरिकन इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिक्स के तहत फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स जर्नल में पब्लिश के रिसर्च के अनुसार जब हवा की स्पीड शून्य होती है, तो मानव की खांसी से लार की बूंदें दो मीटर तक भी नहीं पहुंच सकती। अगर हवा की गति चार किमी से 15 किमी प्रति घंटा के बीच चल रही होती है, तो लार की बूंदें हवा की दिशा में छह मीटर तक पहुंच सकती हैं।
15 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पर लार की बूंद 1.6 सेकंड में छह मीटर दूर पहुंच जाती है। इसलिए संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दो मीटर सामाजिक दूरी पर्याप्त नहीं है। इसलिए भीड़ वाले इलाकों में इसका गहरा प्रभाव पड़ेगा।
वैज्ञानिकों का मानना है कि घर के अंदर वातावरण में लार की बूंदों का व्यवहार कुछ अलग हो सकता है। उन्हेंने कहा कि इस पर उन्हें और अधिक अध्ययन करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में हमें छोटी बूंद के वाष्पीकरण को अधिक गहराई से समझने की जरूरत है और इसपर काम जारी है।
कोरोना के संक्रमण का फैलने का सबसे अधिक खतरा खांसी और नजदीकी बातचीत से हैं। इसको देखते हुए ही दुनिया के लगभग सभी देशों में फेस मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।