- सतीश कुमार बोले- तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के मुक्केबाजों से चुनौती मिलेगी, इसलिए उनकी ताकत बढ़ रही है
- ‘लॉकडाउन के कारण बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ़ इंडिया की ओर से कोच अनलिमिटेड प्लान भेजते हैं, उसी पर काम करते हैं ”
दैनिक भास्कर
10 मई, 2020, सुबह 06:01 बजे IST
बुलंदशहर। सतीश कुमार देश के पहले बॉक्सर हैं, जिन्होंने सुपर हैवीवेट में ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई किया है। 2016 के रियो खेलों में तो वे ऐसा करने से चूक गए थे। लेकिन, इस साल मार्च में उन्होंने 91 किलोग्राम से ज्यादा भारवर्ग में टोक्यो का टिकट कटा लिया।
ये अलग बात है कि कोरोना की वजह से टोक्यो ओलिंपिक में एक साल के लिए टल गया। हालांकि, सतीश मायूस होने की बजाए इसे भी एक मौके की तरह ले रहे हैं। उनका कहना है कि ओलिंपिक टकिंग की वजह से उन्हें अपनी स्ट्रेंथ पर काम करने का और मौका मिल गया।
वह इस एक साल में अपनी कमियों को दूर कर देगा। पूरे देश में लॉकडाउन के कारण कैंप सुरक्षित हैं और वह उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर स्थित अपने घर पर ही फिट पर काम कर रहे हैं। करियर और ओलिंपिक की तैयारियां सतीश ने भास्कर से खास बात की …।
- टोक्यो ओलिंपिक एक साल टकिंग से आपको फायदा हुआ या नुकसान?
सतीश: टोक्यो ओलिंपिक के एक साल टकिंग से मुझे प्रैक्टिस के लिए काफी समय मिल गया है। मैं इस एक वर्ष में अपनी कमियों को दूर करूँगा। स्ट्रेंथ में मैं कमजोर हूं, इसलिए इस पर काम कर रहा हूं। ताकि 2021 में होने वाले खेलों में बेहतर चुनौती पेश कर सकूं।
- आपने कहा है कि स्ट्रेंथ में कमजोर हैं, ऐसे में इसको बढ़ाने के लिए क्या कर रहे हैं?
सतीश: स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए वेट प्रशिक्षण कर रहा हूं। इसके लिए घर पर ही व्यवस्थाजाम किया है। इसमें डंबल, प्लेट्स एंड लिंग शामिल है। मैं हाथों में मजबूती लाने के लिए ट्रक के टायर पर सवार होकर मारता हूं, ताकि हाथों में मजबूती आए।
‘इसके साथ ही वेट भी उठाता हूं। बुलंदशहर में अपने घर के पास ही पेड़ पर रस्सी बांधकर उस पर चढ़ता हूं। वहाँ मेंढक जंप का भी अभ्यास करता है। स्ट्रेंथ को बढ़ाने के लिए कई और एक्सरसाइज भी करता है। जो कोच ने बताई है। ‘
- किस देश के मुक्केबाज से चुनौती मिलेगी? उनकी तुलना में आप किस क्षेत्र में कमजोर और मजबूत हैं?
सतीश: ओलिंपिक में मेरा मुख्य मुकाबला तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के बॉक्सरों से हैं। ये दोनों देशों के मुक्केबाज मुझसे स्ट्रेंथ और तकनीक में ज्यादा मजबूत हैं। उनकी तुलना में मेरी गति ज्यादा है। इसलिए मैं स्ट्रेंथ पर काम कर रहा हूं।
- ओलिंपिक टकिंग से उम्र और मुक्केबाजों पर क्या असर पड़ेगा?
सतीश: किसी भी खिलाड़ी का लक्ष्य ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व करना होता है। यह सोचकर ही खिलाड़ी अभ्यास करता है। हां, जिनकी उम्र ज्यादा हो गई है, उन मुक्केबाजों पर थोड़ा फर्क पड़ेगा। उन्हें फिट करने पर ज्यादा काम करना होगा।
- अगले साल भी ओलिंपिक का होना मुश्किल दिख रहा है? अगर गेम्स रद्द होते हैं तो तैयारियों पर क्या फर्क पड़ेगा?
सतीश: आंतरिक ओलिंपिक संघ (आईओए), जापान सरकार और अलग-अलग देशों के संघ खिलाड़ियों के स्वास्थ्य को जोखिम में नहीं डाल सकते। इसलिए जापान सरकार और आईओए सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ही कोई निर्णय लेंगे। 2021 में भी अगर गेम्स नहीं होते हैं तो 2024 ओलिंपिक की तैयारी के लिए जुटना होगा। तब तक कई युवा खिलाड़ी सामने आ जाएंगे। तब ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने के लिए काफी मेहनत करनी होगी।
- लॉकडाउन के कारण आप घर पर ही हैं, इस समय का उपयोग कैसे कर रहे हैं?
सतीश: लॉकडाउन के कारण मैं बुलंदशहर में ही हूं। बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया की ओर से कोच अनलिमिटेड प्लान भेजते हैं। उसी पर काम करता है। अभी तक केवल फिट को लेकर प्लान आ रहा है। मैं वही पर वर्क कर रहा हूं। इन दिनों जिम भी बंद है, ऐसे में कुछ इक्विपेंट का इंतजाम कर घर पर ही फिट ट्रेनिंग कर रहा हूं।
तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के बॉक्सरों के मैच के वीडियो देख रहा हूँ। अपने पुराने मैच के भी वीडियो देखकर खेल का विश्लेषकों द्वारा कर रहा हूँ।
- आप किसान परिवार से संबंध रखते हैं, क्या परिवार वालों को कृषि के काम में भी मदद कर रहे हैं?
सतीश: जी, इन दिनों गेहूं की कटाई का समय है। मैं कटाई करने तो नहीं गया। लेकिन, कटाई के बाद जब गेहूं और भूसे को अलग किया जाता है, तो उसमें जरूर परिवार की मदद की जाती है।
- आप बॉक्सिंग में कैसे आए?
सतीश: हम चार भाई हैं। मैं दूसरे नंबर का हूं। बड़े भाई सेना में हैं। उनकी वजह से ही सेना में आया। आर्मी में आने से पहले बॉक्सिंग के बारे में कुछ भी नहीं जानता था। जब मैं आर्मी में भर्ती हुआ तो, मुझे इसके बारे में पता चला। मैं रानीखेत में प्रशिक्षण कर रहा था। बैरक के पास ही बॉक्सिंग सेंटर था।
‘आर्मी के बॉक्सिंग कोच ने मेरी हाईट (1.88 मीटर) और मुझे देखकर बॉक्सिंग खेलने का सुझाव दिया। इसके बाद मैं खेल से जुड़ गया। धीरे-धीरे सेना के अंदर होने वाले टूर्नामेंट जीते और उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतकर भारतीय टीम में पहुंच गया। इसकी मेहनत का नतीजा है कि मैं 2014 एशियन गेम्स में 91 किलो से ऊपर की वेटिंग में ब्रॉन्ज मेडल जीता। ‘