- बिल अगर कानून में बदला गया तो उन भारतीय डॉक्टरों और नर्सों को फायदा मिलेगा, जिनके पास एच -1 और जे 2 वीजा हैं
- कोरोनावायरस के कारण अमेरिका की हालत बेहद नाजुक है, अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जैसे कई संगठनों ने बिल का स्वागत किया
दैनिक भास्कर
09 मई, 2020, 07:10 बजे IST
वॉशिंगटन। अमेरिका की संसद में कई सांसदों ने 40 हजार विदेशी डॉक्टरों और नर्सों को अनुजड ग्रीन कार्ड देने के लिए एक बिल पेश किया है। बिल में कहा गया है कि अमेरिका को डॉक्टरों और नर्सों की तत्काल जरूरत है, ऐसे में हमें ग्रीन कार्ड जारी करना चाहिए। इन 40 हजार मेडिकल वर्करों में 25 हजार नर्सरी और 15 हजार डॉ। शामिल हैं।
अगर यह बिल पास होने के कानून में बदल जाता है तो बड़ी संख्या में उन भारतीय डॉक्टरों और नर्सों को फायदा मिलेगा, जिनके पास एच -1 बी या जेपी वीजा हैं। जानकारों के अनुसार, ‘द हेल्थकेयर वर्कफोर्स रेसिलिएंस एक्ट’ के तहत ये ग्रीन कार्ड उन्हें जारी किए जा सकते हैं जिन्हें पिछले कुछ सालों में संसद ने मंजूरी तो दी थी लेकिन उन्हें किसी को नहीं दिया गया था।
इन आवाजों ने बिल का परिचय दिया
अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में सांसद एबी फिनकेन प्राधिकरण, ब्रैड साइडर, टॉम कॉले और डॉन बैकन ने इस बिल को पेश किया है। अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन, द हेल्थकेयर लीडरशिप काउंसिल, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स, द अमेरिकन एसोसिएशन ऑफ इंटरनेशनल हेल्थकेयर रिक्रूटमेंट, द अमेरिकन हॉस्पिटल एसोसिएशन, अमेरिकन ऑर्गनाइजेशन फॉर नर्सिंग लीडरशिप जैसे कई संगठनों ने एक बिल का समर्थन किया है।
भारतीयों में बहुत प्रचलित है एच -1 बी वीजा
एच -1 बी एक नॉन इमिग्रेंट वीजा है, जिसके जरिए अमेरिकी कंपनियों के दूसरे देशों से सीई प्रोफेशनल्स को हायर करता है। सरकार के आदेश के अनुसार, यूएस सिटिजनशिप और इमिग्रेशन सेवाओं के लिए साल के अनुकूल विदेशी कर्मचारियों के लिए 65 हजार एच -1 बी वीजा वीजा करता है। वहीं, अन्य 20 हजार वीजा आवेदनों में वे लोग शामिल हैं, जो अमेरिकी संस्था से मास्टर्स या कोई बड़ी डिग्री ली हो। एच -1 बी वीजाधारकों में सबसे ज्यादा कर्मचारी भारत और चीन से होते हैं।
ग्रीन कार्ड को समझने वाला
अमेरिका की स्थायी नागरिकता पाने के लिए अमेरिका की अनुमति लेनी जरूरी है। यह अनुमति को ही ग्रीन कार्ड कहा जाता है | ग्रीन कार्ड को परमानेंट रेजिडेंट कार्ड माना जाता है। यह कार्ड इस बात का सबूत है कि व्यक्ति को स्थायी रूप से निवास करने का अधिकार मिला है। अमेरिका हर साल 1 लाख 40 हजार ग्रीन कार्ड जारी करता है, जिसमें एक देश को सात प्रतिशत से अधिक ग्रीन कार्ड जारी नहीं किए जाते हैं। भारत को एक वित्त वर्ष में केवल 9800 ग्रीन कार्ड ही मिल सकते हैं।