- विकासशील देशों को 2.5 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की बाहरी वित्तीय मदद की जरूरत होगी
- इन देशों को 1 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की राशि से अपने मौजूदा रिसोर्सेज से जुटानी होगी
दैनिक भास्कर
08 मई, 2020, 12:43 PM IST
नई दिल्ली। आंतरिक मुद्रा कोष (IMFF) ने कोरोनावायरस की वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को लेकर नया बयान दिया है। आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने कहा है कि कोरोना महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के हालात अप्रैल के अनुमान से ज्यादा खराब होंगे। उन्होंने कहा कि जानने के वित्तीय चार्ट को ज्यादा झटके झेलने होंगे।
ज्यादा असर पड़ेगा
गुरुवार को काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस की वेबकास्ट में बोलते हुए गीता गोपीनाथ ने कहा कि संभावित देशों पर कोरोना का ज्यादा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि निवेश करने वाले देशों को अपनी वित्तीय जरूरत पूरी करने के लिए बाहरी बाजार से 2.5 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा की राशि जुटानी होगी।
वित्तीय मदद की जरूरत के बारे में संकोच ना करें
गीता गोपीनाथ ने कहा कि समर्थन देशों को 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि के मौजूदा मौजूदा रिसोर्सेज से जुटानी चाहिए। साथ ही उन्हें कितनी वित्तीय मदद करनी चाहिए, यह बताने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह संकट जल्द ही दूर नहीं होगा। हालात काफी खराब हो गए हैं। स्वास्थ्य संकट का अभी समाधान नहीं हुआ है।
वैश्विक जीडीपी में 3% की गिरावट का अनुमान जताया गया था
आईएमएफ प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने 14 अप्रैल को कहा था कि यह ऐसा संकट है जो पहले कभी नहीं देखा गया था। इस महामारी के कारण विश्व अर्थव्यवस्था 1930 दशक की महामंदी के बाद के सबसे बड़े संकट से गुजर रही है। वैश्विक जीडीपी में 3% की गिरावट आ सकती है।
टीका या दवा के विकास में देरी हुई और खराब स्थिति होगी
जॉर्जीवा ने कहा कि तीन महीने पहले हमारा आँकड़ा था कि हमारे सदस्य देशों में से 160 देशों में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि होगी, लेकिन अब 170 देशों में प्रति व्यक्ति आय में गिरावट की आशंका है। यह इतिहास में पहला मौका है जब विशेषज्ञ आईएमएफ को बता रहे हैं कि यह वायरस लंबे समय तक कहर ढाता रहा या टीका और दवा के विकास में देरी हुई तो हालात और खराब हो सकते हैं।