वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, लंदन
अपडेटेड मैट, 06 मई 2020 08:50 PM IST
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अनुसंधानकर्ताओं (रिसर्चर्स) ने अपने अध्ययन में जानकर कोरोनावायरस से पीड़ित लोगों में से 7,500 से अधिक लोगों को शामिल कर विषाणु जीन का विश्लेषण किया।
अगर आसान भाषा में समझें तो जीवविज्ञान में जीन में होने वाले स्थायी परिवर्तन को उत्पीड़न से कहते हैं। नए कोरोनावायरस में उत्परिवर्तनों की पहचान से दवा या टीके को बनाने में काफी मदद मिल सकती है।
कोरोनावायरस के इन उत्परिवर्तनों से संबंधित अध्ययन रिपोर्ट पत्रिका क्शन इन्फेक्शन, जेनेटिक्स एंड इवोलुशन ’में प्रकाशित हुई है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) के रिसर्चर्स के अध्ययन में सार्स-कोव -2 की वैश्विक विविधता के एक बड़े हिस्से कोरोनावायरस महामारी से सर्वाधिक प्रभावित देशों में मिला।
अध्ययन में यह भी पता चला कि दुनिया में तेजी से फैलने से पहले यह नया कोराना वायरस हाल में 2019 के अंत में ही समाप्त हो गया है।
वैज्ञानिकों ने 198 उत्परिवर्तनों की पहचान की जो स्वतंत्र रूप से एक से अधिक बार घटित हुई हैं लगते हैं। इससे यह समझने में मदद मिल सकती है कि यह विषाणु किस तरह का अपना रूप है।