हालांकि, रूसी के लिए राहत भरी खबर यह है कि यहां रोजाना मौतों की दर 0.9 प्रति ही है। रूस में कोरोनावायरस से 1723 लोगों ने जान गंवाई हैं। दुनिया के सबसे ज्यादा आंतरिक देशों की सूची में रूसी पांचवे नंबर पर है।
वहीं, रूस की सरकार कोरोनावायरस को रोकने के लिए जी-जान से जुटी हुई है। सरकार ने देश में 85 हेलस्पॉट की पहचान की है, जहां सबसे ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। ये सबसे बड़ी हाडौती राजधानी मॉस्को है। देश के 50 प्रतिशत मामले राजधानी में ही सामने आए हैं। मॉस्को में 92,676 लोग कोरोनापोर्ट हैं।
मॉस्को के मेयर सर्गेई सोबयानिन ने चेतावनी दी है कि अगर वायरस का प्रसार नहीं रुकता है तो राजधानी में 2.5 लाख लोग इसकी चपेट में आ सकते हैं। एहतियातन मॉस्को में लॉकडाउन को 31 मई तक बढ़ा दिया गया है। साथ ही सार्वजनिक स्थानों और वाहनों में मुखौटा लगाने और गलव्स पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।
सरकार की तरफ से लोगों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे गैर-जरूरी कार्यों के लिए घर से बाहर न निकलें। जिन लोगों को दफ्तर जाना है, उन्हें सरकारी पास बनवाना होगा। रूस के अलग-अलग राज्य अपने स्तर पर लॉकडाउन को बढ़ा रहे हैं।
वहीं, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इस बात को स्वीकार कर लिया है कि देश में संकाय और पीसीबीई (व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण) किट जैसी सुरक्षा साधनों की बेहद कमी है। इस कारण कंपनियों को आदेश दिया गया है कि इनका उत्पादन बढ़ाया जाए।
रूस में कोरोना से अब तक 97 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है
रूस में कोरोनावायरस की चपेट में स्वास्थ्यकर्मी भी आ गए हैं। रूस में अब तक 97 डॉक्टरों ने कोविड -19 संक्रमण से अपनी जान गंवाई है। इसके अलावा हजारों स्वास्थ्यकर्मी इस खतरनाक वायरस की चपेट में हैं।
स्वास्थ्यकर्मियों ने शिकायत की है कि उन्हें फेश और पीसीई किट मुहैया नहीं किया जा रहा है। अगर वो इस बात की शिकायत कर रहे हैं तो उन्हें नौकरी से निकालने की धमकियां मिल रही है। दूसरी तरफ, दबाव और तनाव के कारण रूस में तीन प्रकार के अस्पताल के कमरों से कूद गए। इनमें से दो की मौके पर ही मौत हो गई।