रियाज नाइकू का बेगपुरा में एनकाउंटर
– फोटो: बासित जरगर
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आकू सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर 2016 में डाक ब्वॉय बुरहान वानी की मौत के बाद आना शुरू हुआ था। उसके सिर पर 12 लाख रुपये का इनाम था। अवंतिपुरा के दुरबग के केकू मोहल्ले का निवासी आकू घाटी के वांछनीय आतंकवादियों की ए ++ श्रेणी में आता है।
उसने घाटी में सतर्कर भट की मौत के बाद हिजबुल मुजाहिद्दीन के मुखिया का पद संभाला। नायकू को पूरी घाटी में हिजबुल कान्दरर माना जाता था। सुरक्षा एजेंसियों ने पहले उसे कई बार घेरा था लेकिन हर बार वह किसी तरह बचकर भाग निकलने में सफल हो जाती थी।
आगे आपको बताते हैं कि सुरक्षाबलों ने किन -इन बड़े आतंकवादियों का खात्मा किया है।
ऐसे फरार हुआ था आतंकी जट
इसी वर्ष 7 फरवरी शहर को हाई सिक्योरिटी जोन में बीएमएचएस अस्पताल में आतंकवादियों ने पुलिस पार्टी पर हमला कर भारी कोर लश्कर आतंकी रविद जत उर्फ अबु हंजुला को भगा लिया। नवीद पाकिस्तानी आतंकी था। उसके साथ छह आतंकवादियों को 6 फरवरी को सेंट्रल जेल से इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था। इससे पहले से मौजूद दो आतंकवादियों ने पुलिस पार्टी पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं थी। इसमें दो पुलिसकर्मी हेड कांस्टेबल मुश्ताक अहमद और कांस्टेबल बबर अहमद शहीद हो गए थे। घटना के बाद अस्पताल में अफरातफरी मच गया। तीनों आतंकी फिल्मी अंदाज में मोटरसाइकिल से फरार हो गए थे।
2010 में लश्कर में हुआ था शामिल
देवीद 2010 में लश्कर में शामिल हुआ था और दो साल की ट्रेनिंग के लिए भारत भेजा गया था। उन्होंने मुजफ्फ्राम कैंप में प्रशिक्षण ली थी। अक्टूबर-नवंबर 2012 में वह कुपवाड़ा के रास्ते सात अन्य विदेशी आतंकवादियों के साथ रियासत में दाखिल हुआ था। नावेड और 22 आतंकियों का समूह छह महीने से अधिक समय तक बांदीपोरा के जंगलों में मई 2013 तक रुक चुका था। देवीद व एक अन्य आतंकी आशिक लोन को पुलवामा व शोपियां के इलाके में भेजा गया था। इस दौरान उन्हें मोबाइल फोन, सिम कार्ड देने के साथ ही स्काईपे के इस्तेमाल की जानकारी दी गई थी। नावेद को पाकिस्तान से दिशा निर्देश मिलते थे और वह लगातार अब स सज्जाद व अबु हज़ला के संपर्क में रहता था।
जाकिर 2013 में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था। वह बुरहान वानी का लंबे समय तक सहयोगी रहा। उनका यह संगठन कांडरर भी था। बाद में 2017 में वह अल कायदा के संगठन अंसार गजवा -तुल-हिंद में शामिल हो गया था। बताते हैं कि उसने हुर्रियत प्रमुख का सिर कलम किए जाने की धमकी दी थी, इसके बाद से हिजबुल मुजाहिदीन ने उसे नाता तोड़ लिया था।
तीनों हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े थे और उनके खिलाफ काफी मामले दर्ज थे। बुरहान ग्रुप में से एक तारिक पंडित नामक आतंकी को पुलिस ने मई 2016 में पुलवामा से गिरफ्तार किया था। लतीफ 2014 से इलाके में सक्रिय था और पुराने आतंकियों में से एक था। तारिक क्षेत्र में स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठन में भर्ती के पीछे एक मुख्य पहलू था। यह आतंकी बुरहान वानी ग्रुप के वायरल हुए 11 सदस्यीय ग्रुप फोटो में भी शामिल था।
वर्ष 2018 में श्रीनगर में मुठभेड़ में ढेर लश्करंदरर मेहराजदीन पोस्टारू पहले कुख्यात पत्थरबाज थे। वह हुर्रियत के साथ जुड़ा था। बाद में उसने आतंक की राह थाम ली और कम समय में ही लश्कर कांदरर बन गया। सुरक्षाबलों को उसकी लंबी अवधि से तलाश थी। वह श्रीनगर में युवाओं को बरगला कर आतंकी संगठन में भर्ती कर रहा था। श्रीनगर को आतंकवाद के नक्शे पर लाने में उसकी बड़ी भूमिका मानी जा रही है।
वर्ष 2015 में बिलारू श्रीनगर से अचानक गायब हो गया और तहरीक-उल मुजाहिदीन का सक्रियन्दर बन गया। उसके साथ ही उसने श्रीनगर और उसके साथ सटे इलाकों में युवाओं की भर्ती शुरू करते हुए दक्षिण व मध्य कश्मीर में सक्रिय पुराने आतंकवादियों के साथ संपर्क भी बनाया। वह हिजबुल और लश्कर के आतंकवादियों के बीच कोआर्डिनेटर की भूमिका निभाने लगा।
बुरहान वानी
हिजबुलंदर बुरहान वानी को पिछले साल जुलाई में अनंतनाग के पास मुठभेड़ में मार गिराया गया है। बुरहान पर दस लाख रुपये का इनाम था। घाटी में युवाओं को आतंकी संगठन में भर्ती करने के लिए बुरहान काफी चर्चित रहा है। वह पाकिस्तान की मदद के बगैर ही आतंकी वारदातों को अंजाम देने और आतंकी संगठन को सक्रिय करने में जुटा हुआ था। पुलवामा और त्राल क्षेत्र में वह बहुत सक्रिय था।
हिजबुल के डाक ब्वॉय बुरहान वानी के मारे जाने के बाद अस्थायी रूप से हिज्ब की कमान वजार अहमद भट्ट को सौंपी गई थी। दक्षिणी कश्मीर के कई युवाओं को अपने संगठन में शामिल करने में सतर्कता ने बड़ी भूमिका निभाई थी। कहा जाता है कि वजार अहमद भट को मोहब्बत में मिली नाकामी ने खूंखार आतंकी सरगना बना दिया। लड़की के घरवालों द्वारा निकाह की गुजारिश ठुकरा देने के बाद 2015 में वह हिजबुल में शामिल हो गए। इसके लिए उन्होंने एक पुलिसकर्मी की राइफल छीनकर अपनी काबिलियत साबित की थी। अपनी क्रूरता के कारण जल्दी ही वह बुरहान वानी का दाहिना हाथ बन गया।
आकू सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर 2016 में डाक ब्वॉय बुरहान वानी की मौत के बाद आना शुरू हुआ था। उसके सिर पर 12 लाख रुपये का इनाम था। अवंतिपुरा के दुरबग के केकू मोहल्ले का निवासी आकू घाटी के वांछनीय आतंकवादियों की ए ++ श्रेणी में आता है।
उसने घाटी में सतर्कर भट की मौत के बाद हिजबुल मुजाहिद्दीन के मुखिया का पद संभाला। नायकू को पूरी घाटी में हिजबुल कान्दरर माना जाता था। सुरक्षा एजेंसियों ने पहले उसे कई बार घेरा था लेकिन हर बार वह किसी तरह बचकर भाग निकलने में सफल हो जाती थी।
आगे आपको बताते हैं कि सुरक्षाबलों ने किन -इन बड़े आतंकवादियों का खात्मा किया है।
लश्कर का पाकिस्तानी आतंकीविद जत उर्फ अबु हेजला
ऐसे फरार हुआ था आतंकी जट
इसी वर्ष 7 फरवरी शहर को हाई सिक्योरिटी जोन में बीएमएचएस अस्पताल में आतंकवादियों ने पुलिस पार्टी पर हमला कर भारी कोर लश्कर आतंकी रविद जत उर्फ अबु हंजुला को भगा लिया। नवीद पाकिस्तानी आतंकी था। उसके साथ छह आतंकवादियों को 6 फरवरी को सेंट्रल जेल से इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था। इससे पहले से मौजूद दो आतंकवादियों ने पुलिस पार्टी पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं थी। इसमें दो पुलिसकर्मी हेड कांस्टेबल मुश्ताक अहमद और कांस्टेबल बबर अहमद शहीद हो गए थे। घटना के बाद अस्पताल में अफरातफरी मच गया। तीनों आतंकी फिल्मी अंदाज में मोटरसाइकिल से फरार हो गए थे।
2010 में लश्कर में हुआ था शामिल
देवीद 2010 में लश्कर में शामिल हुआ था और दो साल की ट्रेनिंग के लिए भारत भेजा गया था। उन्होंने मुजफ्फ्राम कैंप में प्रशिक्षण ली थी। अक्टूबर-नवंबर 2012 में वह कुपवाड़ा के रास्ते सात अन्य विदेशी आतंकवादियों के साथ रियासत में दाखिल हुआ था। नावेड और 22 आतंकियों का समूह छह महीने से अधिक समय तक बांदीपोरा के जंगलों में मई 2013 तक रुक चुका था। देवीद व एक अन्य आतंकी आशिक लोन को पुलवामा व शोपियां के इलाके में भेजा गया था। इस दौरान उन्हें मोबाइल फोन, सिम कार्ड देने के साथ ही स्काईपे के इस्तेमाल की जानकारी दी गई थी। नावेद को पाकिस्तान से दिशा निर्देश मिलते थे और वह लगातार अब स सज्जाद व अबु हज़ला के संपर्क में रहता था।
अंसार-गज्वा-तुल-हि का जाकिर मूसा
जाकिर 2013 में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था। वह बुरहान वानी का लंबे समय तक सहयोगी रहा। उनका यह संगठन कांडरर भी था। बाद में 2017 में वह अल कायदा के संगठन अंसार गजवा -तुल-हिंद में शामिल हो गया था। बताते हैं कि उसने हुर्रियत प्रमुख का सिर कलम किए जाने की धमकी दी थी, इसके बाद से हिजबुल मुजाहिदीन ने उसे नाता तोड़ लिया था।
आतंकी लतीफ अहमद डार उर्फ लतीफ टाइगर
तीनों हिजबुल मुजाहिदीन से जुड़े थे और उनके खिलाफ काफी मामले दर्ज थे। बुरहान ग्रुप में से एक तारिक पंडित नामक आतंकी को पुलिस ने मई 2016 में पुलवामा से गिरफ्तार किया था। लतीफ 2014 से इलाके में सक्रिय था और पुराने आतंकियों में से एक था। तारिक क्षेत्र में स्थानीय युवाओं की आतंकी संगठन में भर्ती के पीछे एक मुख्य पहलू था। यह आतंकी बुरहान वानी ग्रुप के वायरल हुए 11 सदस्यीय ग्रुप फोटो में भी शामिल था।
कौन था आतंकी हमीद ललहारी
वर्ष 2018 में श्रीनगर में मुठभेड़ में ढेर लश्करंदरर मेहराजदीन पोस्टारू पहले कुख्यात पत्थरबाज थे। वह हुर्रियत के साथ जुड़ा था। बाद में उसने आतंक की राह थाम ली और कम समय में ही लश्कर कांदरर बन गया। सुरक्षाबलों को उसकी लंबी अवधि से तलाश थी। वह श्रीनगर में युवाओं को बरगला कर आतंकी संगठन में भर्ती कर रहा था। श्रीनगर को आतंकवाद के नक्शे पर लाने में उसकी बड़ी भूमिका मानी जा रही है।
वर्ष 2015 में बिलारू श्रीनगर से अचानक गायब हो गया और तहरीक-उल मुजाहिदीन का सक्रियन्दर बन गया। उसके साथ ही उसने श्रीनगर और उसके साथ सटे इलाकों में युवाओं की भर्ती शुरू करते हुए दक्षिण व मध्य कश्मीर में सक्रिय पुराने आतंकवादियों के साथ संपर्क भी बनाया। वह हिजबुल और लश्कर के आतंकवादियों के बीच कोआर्डिनेटर की भूमिका निभाने लगा।
हिजबुलंदर बुरहान वानी
बुरहान वानी
हिजबुलंदर बुरहान वानी को पिछले साल जुलाई में अनंतनाग के पास मुठभेड़ में मार गिराया गया है। बुरहान पर दस लाख रुपये का इनाम था। घाटी में युवाओं को आतंकी संगठन में भर्ती करने के लिए बुरहान काफी चर्चित रहा है। वह पाकिस्तान की मदद के बगैर ही आतंकी वारदातों को अंजाम देने और आतंकी संगठन को सक्रिय करने में जुटा हुआ था। पुलवामा और त्राल क्षेत्र में वह बहुत सक्रिय था।
आतंकी वजार भट्ट
हिजबुल के डाक ब्वॉय बुरहान वानी के मारे जाने के बाद अस्थायी रूप से हिज्ब की कमान वजार अहमद भट्ट को सौंपी गई थी। दक्षिणी कश्मीर के कई युवाओं को अपने संगठन में शामिल करने में सतर्कता ने बड़ी भूमिका निभाई थी। कहा जाता है कि वजार अहमद भट को मोहब्बत में मिली नाकामी ने खूंखार आतंकी सरगना बना दिया। लड़की के घरवालों द्वारा निकाह की गुजारिश ठुकरा देने के बाद 2015 में वह हिजबुल में शामिल हो गए। इसके लिए उन्होंने एक पुलिसकर्मी की राइफल छीनकर अपनी काबिलियत साबित की थी। अपनी क्रूरता के कारण जल्दी ही वह बुरहान वानी का दाहिना हाथ बन गया।