मां और बच्चे दोनों अब अस्पताल में डॉक्टरों की निगरानी में हैं
– फोटो: एएनआई

ख़बर सुनकर

महाराष्ट्र से पैदल चलने वाली आकर मध्यप्रदेश की एक महिला ने रास्ते में बच्चे को जन्म दिया है। लॉकडाउन के चलते महाराष्ट्र के नासिक से सतना के अपने गांव वापस जा रही एक गर्भवती महिला ने रास्ते में एक बच्चे को जन्म दिया। महिला के पति ने कहा कि जन्म देने के बाद हमने दो घंटे आराम किया फिर हम कम से कम 150 किलोमीटर तक पैदल चले।

नासिक से महिला अपने परिवार के साथ अपने गांव उचेहरा के लिए निकल पड़ी। लेकिन नासिक के आगे पीपरगाँव में महिला का पीड़ित हो गया। लेकिन रास्ते में इस दौरान महिला और उसके परिवार को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल सकी। गांव की ही कुछ महिलाओं को रास्ता में कदम-कदम पर महिला का हौसला उठती बनी और पीड़ित के दो घंटे बाद महिला वापस जाने लगी।

अपने नवजात को गोद में उठाकर 170 किलोमीटर पैदल चलने के बाद मध्य प्रदेश के बिजासन बॉर्डर पर पहुंचकर उन्हें मदद मिली। जब उचेहरा के करीब इचौल पहुंची तो प्रशासन ने उसे जननी एक्सप्रेस मुहैया कराया। अभी जच्चा-बच्चा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उचेहरा में भर्ती कराया गया है। दोनों की हालत खतरे से बाहर है।

शंकुतला के पति राकेश कोल ने बताया कि नासिक से चले गए थे। पीपरगांव में मेरी पत्नी के पेट में दर्द शुरू हो गया है। रास्ता में ही डिलिवरी हो गई। हमारे गाँव की 4-5 महिलाएँ थीं और साड़ी की आड़ बनाकर शिकार बना रही थीं। फिर हम लोगों ने दो घंटे आराम किया आगे की ओर चलने चल दिए।

सतना के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर एके रॉय ने कहा कि हमें पता चला कि सीमा पर प्रशासन ने उनके लिए एक बस की व्यवस्था की, और जैसे ही वे उचेचेरा पहुंचे हम उन्हें यहां ले आए। सभी चेक-अप हो चुके हैं, माँ और बच्चे दोनों ठीक हैं।

सार

  • प्रवासी महिला ने बच्चे को जन्म दिया
  • बच्चे को जन्म देने के बाद 150 किमी तक पैदल चलना पड़ता है
  • माँ और बच्चा दोनों सुरक्षित हैं

विस्तार

महाराष्ट्र से पैदल चलने वाली आकर मध्यप्रदेश की एक महिला ने रास्ते में बच्चे को जन्म दिया है। लॉकडाउन के चलते महाराष्ट्र के नासिक से सतना के अपने गांव वापस जा रही एक गर्भवती महिला ने रास्ते में एक बच्चे को जन्म दिया। महिला के पति ने कहा कि जन्म देने के बाद हमने दो घंटे आराम किया फिर हम कम से कम 150 किलोमीटर तक पैदल चले।

नासिक से महिला अपने परिवार के साथ अपने गांव उचेहरा के लिए निकल पड़ी। लेकिन नासिक के आगे पीपरगाँव में महिला का पीड़ित हो गया। लेकिन रास्ते में इस दौरान महिला और उसके परिवार को किसी तरह की कोई मदद नहीं मिल सकी। गांव की ही कुछ महिलाएं रास्ते में कदम-कदम पर महिला का हौसला बढ़ाती रहीं और पीड़ित के दो घंटे बाद महिला वापस जाने लगी।

अपने नवजात को गोद में उठाकर 170 किलोमीटर पैदल चलने के बाद मध्य प्रदेश के बिजासन बॉर्डर पर पहुंचकर उन्हें मदद मिली। जब उचेहरा के करीब इचौल पहुंची तो प्रशासन ने उसे जननी एक्सप्रेस मुहैया कराया। अभी जच्चा-बच्चा को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उचेहरा में भर्ती कराया गया है। दोनों की हालत खतरे से बाहर है।

शंकुतला के पति राकेश कोल ने बताया कि नासिक से चले गए थे। पीपरगांव में मेरी पत्नी के पेट में दर्द शुरू हो गया है। रास्ता में ही डिलिवरी हो गई। हमारे गाँव की 4-5 महिलाएँ थीं और साड़ी की आड़ बनाकर पीड़ित बनी थीं। फिर हम लोगों ने दो घंटे आराम किया आगे की ओर चलने चल दिए।

सतना के ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर एके रॉय ने कहा कि हमें पता चला कि सीमा पर प्रशासन ने उनके लिए एक बस की व्यवस्था की, और जैसे ही वे उचेचेरा पहुंचे हम उन्हें यहां ले आए। सभी चेक-अप हो चुके हैं, माँ और बच्चे दोनों ठीक हैं।





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