दुनिया के ज्यादातर देशों में कोरोनावायरस का कहर लगातार जारी है। इस खतरनाक वायरस से अब तक लगभग तीन लाख लोगों की जान चली गई है। इस महामारी से अगर कोई देश सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है तो वह अमेरिका है, जहां 76 हजार 450 लोगों की जान चली गई है।
अब अमेरिका इस जानलेवा वायरस को पूरे इतिहास में फैलाने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहरा रहा है। जिससे दोनो देशों के बीच के व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध बिगड़ने के आसार नजर आ रहे हैं और इसका फायदा भारत को मिलता है।
भारत इस ट्रेड वार का फायदा लेकर अमेरिकी कंपनियों को चीन से निकलकर भारत लाने के लिए मनाने की भरपूर कोशिशें शुरू कर दी है। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने अप्रैल में 1,000 से अधिक अमेरिकी विदेशी कंपनियों से संपर्क किया और उन्हें चीन से व्यापारिक गतिविधियों को हटाकर भारत आने से होने वाले फायदे के बारे में बताया गया है।
ये कंपनियां 550 से अधिक उत्पाद बनाती हैं। सरकार का मुख्य ध्यान मेडिकल इक्विपमेंट इंडिया, खाद्य प्रसंस्करण इकाई, टेक्सटाइल्स, लेदर और ऑटो पार्ट्स निर्माता कंपनियों को आकर्षित करने पर।
- ट्रम्प प्रशासन का शुल्क- चीन के इस कदम से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ेगा
ट्रम्प प्रशासन का आरोप है कि चीन ठीक तरह से इस वायस से नहीं निपटा, जिससे कि पूरे इतिहास में लगभग पौने तीन लाख लोगों की मौतें हो गई हैं। अमेरिका ने आरोप लगाया कि इस वायरस की वजह से वैश्विक व्यापार पर और बुरा असर पड़ने की आशंका है। इस बीच कंपनियों और सरकारों ने आपूर्ति श्रृंखला का विस्तार करने के लिए अपने संसाधनों को चीन से बाहर दूसरे देशों में भी फैलाना शुरू कर दिया है। जापान ने कंपनियों को चीन से बाहर निकलने में मदद करने के लिए 2.2 अरब डॉलर की राशि निश्चित की है। यूरोपीय संघ के सदस्य भी चीन की प्रतिक्रिया पर अपनी निर्भरता कम करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
- कंपनियों भारत आती है तो अर्थव्यवस्था में आएगी तेजी
मोदी सरकार यदि इन कंपनियों को भारत लाने में सफल हो जाती है तो इससे लंबे समय से लगे लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही जीडीपी में बढ़ते सेक्टर के योगदान को वर्तमान 15 प्रति से बढ़ाकर 25 प्रति तक ले जाने में भी मदद मिलेगी। बता दें कि कोविड -19 महामारी के कारण देश में लगभग साढ़े 12 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हो चुके हैं। इसलिए अगर कंपनियां भारत आती हैं तो देश में रोजगार बढ़ेगा।
- अमेरिकी कंपनियों को मनाने के लिए सरकार कर सकती है टैक्स में बदलाव
सरकार अमेरिकी कंपनियों को मनाने के लिए टैक्स स्ट्रक्चर में भी बदलाव कर सकती है। वास्तव में कोई भी कंपनी किसी भी देश में व्यापार स्थापित करने के लिए वहाँ के कर नीति को जानना चाहती है ताकि उसके व्यवसाय को अधिक से अधिक लाभ पहुंचे।
- अमेरिकी कंपनी मेडट्रॉनिक्स पीट्स और एबॉट बिलोरेटरीज से चल रही है सरकार की बात
सरकार को उम्मीद है कि वह स्वास्थ्य सेवा उत्पाद व डिवाइस बनाने वाली कंपनियों को लुभाने में सफल रहेगी। एक अधिकारी के अनुसार मेडट्रॉनिक्स पीपीएस और एबॉट अरबपति से सरकार की बात चल रही है। दोनों कंपनियां भारत में पहले से ही कारोबार कर रही हैं। इससे उन्हें अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को भारत में लाने में आसानी होगी। बता दें कि दोनो देशों के ट्रेड वार के बीच अमेरिकी कंपनियां वियतनाम शिफ्ट हो गईं।
- भारत वियतनाम या कंबोडिया से बड़ा बाजार
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय सहायता ने कहा कि भारत वियतनाम या कंबोडिया से बड़ा बाजार है। इसलिए चीन से बाहर निकलने वाली कंपनियों को भारत अधिक आकर्षित कर सकता है। लेकिन भारत को यह आश्वस्त करना होगा कि वह पिछली तिथि के प्रभाव से कर प्रणाली में कोई बदलाव नहीं करेगा।
दुनिया के ज्यादातर देशों में कोरोनावायरस का कहर लगातार जारी है। इस खतरनाक वायरस से अब तक लगभग तीन लाख लोगों की जान चली गई है। इस महामारी से अगर कोई देश सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है तो वह अमेरिका है, जहां 76 हजार 450 लोगों की जान चली गई है।
अब अमेरिका इस जानलेवा वायरस को पूरे इतिहास में फैलाने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहरा रहा है। जिससे दोनो देशों के बीच के व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध बिगड़ने के आसार नजर आ रहे हैं और इसका फायदा भारत को मिलता है।
भारत इस ट्रेड वार का फायदा लेकर अमेरिकी कंपनियों को चीन से निकलकर भारत लाने के लिए मनाने की भरपूर कोशिशें शुरू कर दी है। भारतीय अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने अप्रैल में 1,000 से अधिक अमेरिकी विदेशी कंपनियों से संपर्क किया और उन्हें चीन से व्यापारिक गतिविधियों को हटाकर भारत आने से होने वाले फायदे के बारे में बताया गया है।
ये कंपनियां 550 से अधिक उत्पाद बनाती हैं। सरकार का मुख्य ध्यान मेडिकल इक्विपमेंट इंडिया, खाद्य प्रसंस्करण इकाई, टेक्सटाइल्स, लेदर और ऑटो पार्ट्स निर्माता कंपनियों को आकर्षित करने पर।
- ट्रम्प प्रशासन का शुल्क- चीन के इस कदम से वैश्विक व्यापार पर बुरा असर पड़ेगा
ट्रम्प प्रशासन का आरोप है कि चीन ठीक तरह से इस वायस से नहीं निपटा, जिससे कि पूरे इतिहास में लगभग पौने तीन लाख लोगों की मौतें हो गई हैं। अमेरिका ने आरोप लगाया कि इस वायरस की वजह से वैश्विक व्यापार पर और बुरा असर पड़ने की आशंका है। इस बीच कंपनियों और सरकारों ने आपूर्ति श्रृंखला का विस्तार करने के लिए अपने संसाधनों को चीन से बाहर दूसरे देशों में भी फैलाना शुरू कर दिया है। जापान ने कंपनियों को चीन से बाहर निकलने में मदद करने के लिए 2.2 अरब डॉलर की राशि निश्चित की है। यूरोपीय संघ के सदस्य भी चीन की प्रतिक्रिया पर अपनी निर्भरता कम करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
- कंपनियों भारत आती है तो अर्थव्यवस्था में आएगी तेजी
मोदी सरकार यदि इन कंपनियों को भारत लाने में सफल हो जाती है तो इससे लंबे समय से लगे लॉकडाउन से प्रभावित अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। इसके साथ ही जीडीपी में बढ़ते सेक्टर के योगदान को वर्तमान 15 प्रति से बढ़ाकर 25 प्रति तक ले जाने में भी मदद मिलेगी। बता दें कि कोविड -19 महामारी के कारण देश में लगभग साढ़े 12 करोड़ से ज्यादा लोग बेरोजगार हो चुके हैं। इसलिए अगर कंपनियां भारत आती हैं तो देश में रोजगार बढ़ेगा।
- अमेरिकी कंपनियों को मनाने के लिए सरकार कर सकती है टैक्स में बदलाव
सरकार अमेरिकी कंपनियों को मनाने के लिए टैक्स स्ट्रक्चर में भी बदलाव कर सकती है। वास्तव में कोई भी कंपनी किसी भी देश में व्यापार स्थापित करने के लिए वहाँ के कर नीति को जानना चाहती है ताकि उसके व्यवसाय को अधिक से अधिक लाभ पहुंचे।
- अमेरिकी कंपनी मेडट्रॉनिक्स पीट्स और एबॉट बिलोरेटरीज से चल रही है सरकार की बात
सरकार को उम्मीद है कि वह स्वास्थ्य सेवा उत्पाद व डिवाइस बनाने वाली कंपनियों को लुभाने में सफल रहेगी। एक अधिकारी के अनुसार मेडट्रॉनिक्स पीपीएस और एबॉट अरबपति से सरकार की बात चल रही है। दोनों कंपनियां भारत में पहले से ही कारोबार कर रही हैं। इससे उन्हें अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को भारत में लाने में आसानी होगी। बता दें कि दोनो देशों के ट्रेड वार के बीच अमेरिकी कंपनियां वियतनाम शिफ्ट हो गईं।
- भारत वियतनाम या कंबोडिया से बड़ा बाजार
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्टर्स (फियो) के महानिदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अजय सहायता ने कहा कि भारत वियतनाम या कंबोडिया से बड़ा बाजार है। इसलिए चीन से बाहर निकलने वाली कंपनियों को भारत अधिक आकर्षित कर सकता है। लेकिन भारत को यह आश्वस्त करना होगा कि वह पिछली तिथि के प्रभाव से कर प्रणाली में कोई बदलाव नहीं करेगा।