वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन
Updated Fri, 22 May 2020 09:05 AM IST
व्हाइट हाउस, अमेरिका (फाइल फोटो)
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व्हाइट हाउस ने रिपोर्ट में कहा, ‘बीजिंग अपनी बयानबाजी का खंडन करता है और यलो सी, पूर्व और दक्षिण चीन सागर, ताइवान और चीन-भारतीय सीमा क्षेत्रों में उत्तेजक और जबरदस्त सैन्य और अर्धसैनिक गतिविधियों में संलग्न होकर अपने पड़ोसियों के लिए प्रतिबद्धताओं का पालन करता है।’
यूनाइटेड स्टेट्स स्ट्रैटेजिक अप्रोच टू द पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना नाम की रिपोर्ट को कांग्रेस के सामने जमा कराया गया है। यह राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम 2019 के लिए आवश्यक है। रिपोर्ट में कहा गया है कि चूंकि चीन ताकतवर हो चुका है इसलिए चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) की इच्छा और क्षमता उसके हितों के लिए कथित खतरों को खत्म करने और वैश्विक स्तर पर अपने रणनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के प्रयासों से डराने और जबरदस्ती करने की है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बीजिंग की कार्रवाई चीनी नेताओं की उन घोषणाओं से अलग है जिसमें उनका कहना है कि वे धमकी या बल प्रयोग का विरोध करते हैं, अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करते या शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से विवादों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इससे एक दिन पहले ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ एलिस वेल्स ने चीन के व्यवहार को उकसाने और परेशान करने वाला बताया था।
चीनी आक्रामकता हमेशा केवल बयानबाजी नहीं होती: वेल्स
अमेरिका ने कहा है कि चीनी सैनिकों का आक्रामक व्यवहार चीन की ओर से पेश खतरे की याद दिलाता है। अमेरिका के विदेश विभाग में दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो की निवर्तमान प्रमुख एलिस वेल्स ने इस संबंध में कहा कि उन्हें लगता है कि सीमा पर तनाव एक चेतावनी है कि चीनी आक्रामकता हमेशा केवल बयानबाजी नहीं होती।
उन्होंने कहा, चाहे दक्षिण चीन सागर का मामला हो या भारत के साथ लगी उसकी सीमा हो, हम चीन की ओर से उकसावे और परेशान करने वाला व्यवहार देख रहे हैं। यह दिखाता है कि चीन अपनी बढ़ती ताकत का किस तरह इस्तेमाल करना चाहता है।