न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
अपडेटेड सन, 10 मई 2020 02:19 PM IST
प्रवासी मजदूर (फाइल फोटो) – फोटो: पीटीआई
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भारतीय रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि रेलवे ने एक मई से अब तक 350 श्रमिक ट्रेनों का संचालन किया है। कोरोनावायरस की वजह से देशभर में लागू लॉकडाउन के बीच 3.6 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को देश के विभिन्न राज्यों में स्थित उनके राज्य पहुंच गया है।
अधिकारी ने कहा कि जहां 263 ट्रेनें पहले ही अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच चुकी हैं वहीं 87 पहुंचने वाली हैं। इसके अलावा 46 ट्रेनों का संचालन किया गया है। हर श्रमिक ट्रेन में 24 कोच हैं। हर कोच में 72 सीटे हैं। हालांकि सामाजिक दूरी को बनाए रखने के लिए एक कोच में केवल 54 लोगों को बैठने की इजाजत है।
अधिकारी ने बताया कि बीच की बर्थ किसी को भी आवंटित नहीं की जा रही है। रेलवे ने अभी तक विशेष ट्रेन संचालित करने में आई लागत की घोषणा नहीं की है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि एक ट्रेन संचालित करने की लागत 80 लाख रुपये है। इससे पहले सरकार ने कहा था कि सेवाओं में आने वाले खर्च को राज्य के साथ 85:15 के अनुपात में बांटा जाएगा।
जब से श्रमिक विशेष ट्रेनों की शुरुआत हुई है तब से गुजरात के बाद केरल ने इसका सबसे ज्यादा उपयोग किया है। सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश से हैं। विपक्षी अंशों ने विशेष ट्रेन संचालित करने के लिए पैसे लेने की वजह से रेलवे की आलोचना की थी। वहीं जारी किए गए निर्देश-निर्देश में रेलवे ने कहा है कि ट्रेनें केवल चल रही हैंगी जब उसमें 90 प्रतिशत यात्री होंगे और राज्य टिकट का किराया इकट्ठा होगा।
भारतीय रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि रेलवे ने एक मई से अब तक 350 श्रमिक ट्रेनों का संचालन किया है। कोरोनावायरस की वजह से देशभर में लागू लॉकडाउन के बीच 3.6 लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूरों को देश के विभिन्न राज्यों में स्थित उनके राज्य पहुंच गया है।
अधिकारी ने कहा कि जहां 263 ट्रेनें पहले ही अपने गंतव्य स्थल पर पहुंच चुकी हैं वहीं 87 पहुंचने वाली हैं। इसके अलावा 46 ट्रेनों का संचालन किया गया है। हर श्रमिक ट्रेन में 24 कोच हैं। हर कोच में 72 सीटे हैं। हालांकि सामाजिक दूरी को बनाए रखने के लिए एक कोच में केवल 54 लोगों को बैठने की इजाजत है।
अधिकारी ने बताया कि बीच की बर्थ किसी को भी आवंटित नहीं की जा रही है। रेलवे ने अभी तक विशेष ट्रेन संचालित करने में आई लागत की घोषणा नहीं की है। वहीं अधिकारियों का कहना है कि एक ट्रेन संचालित करने की लागत 80 लाख रुपये है। इससे पहले सरकार ने कहा था कि सेवाओं में आने वाले खर्च को राज्य के साथ 85:15 के अनुपात में बांटा जाएगा।
जब से श्रमिक विशेष ट्रेनों की शुरुआत हुई है तब से गुजरात के बाद केरल ने इसका सबसे ज्यादा उपयोग किया है। सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर बिहार, उत्तर प्रदेश से हैं। विपक्षी अंशों ने विशेष ट्रेन संचालित करने के लिए पैसे लेने की वजह से रेलवे की आलोचना की थी। वहीं जारी किए गए निर्देश-निर्देश में रेलवे ने कहा है कि ट्रेनें केवल चल रही हैंगी जब उसमें 90 प्रतिशत यात्री होंगे और राज्य टिकट का किराया इकट्ठा होगा।