- ओलिंपिक में रजत पदक विजेता पीवी सिंधु ने कहा- दिग्गज भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ियों के अनुभव का फायदा उठाना चाहिए
- ‘भारत में कई चेनियन पैदा हो सकते हैं, लेकिन परिवार के अलावा कोच और अधिकारियों को मिलकर काम करना होगा’
दैनिक भास्कर
05 मई, 2020, 07:53 बजे IST
विश्व स्तर के भारतीय बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने विदेश कोचों को लेकर चिंता जाहिर की है। रियो ओलिंपिक में पदक विजेता ने कहा कि कोरोनावायरस (कोविड -19) के बाद विदेशी कोचों को लाने में काफी मुश्किल होगी। यह हमारे लिए बड़ी चुनौती होगी, इसलिए हमें इसकी तैयारी पहले ही करनी चाहिए। सिंधु ने सोमवार को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म वेबिनार पर स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के नए असिस्टेंट डायरेक्टर से बात की। उन्होंने कहा कि भारत के कई खिलाड़ियों ने इंटरनेशनल मेडल जीते हैं। उन्हें कोचिंग के लिए तैयार करना चाहिए।
सिंधु ने युवा अधिकारियों से कहा कि उन्हें प्रत्येक खिलाड़ी की रिपोर्ट बनानी चाहिए। सभी प्लेयर्स और उनके पैर के साथ संपर्क बनाकर रखें और बातचीत करना चाहिए। युवा अधिकारियों के लिए जरूरी है कि खिलाड़ी और उनके पैरेंट्स से फीडबैक को लेकर योजना तैयार करें।
सिंधु ने कहा, ‘ोना कोरोना महामारी के बाद विदेशी कोच भारत आने में रूचि नहीं लेगी। ऐसे में इस चुनौती से निपटने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए। अपने देश में कई आंतरिक खिलाड़ी हैं, जिन्होंने देश के लिए मेडल जीता है। हमें उनके अनुभव का फायदा उठाना चाहिए। इन खिलाड़ियों को कोचिंग के लिए मौका देना चाहिए और उन्हें प्रेरित करना चाहिए। ”
परिवार और अधिकारी मिलकर काम करेंगे, तभी जंजीर बनेगी
सिंधु ने कोच, परिवार और खेल अधिकारियों के महत्व को भी बताया। उन्होंने कहा, होगा ों तीनों को मिलकर काम करना होगा, तभी देश को चैंपियंस खिलाड़ी दे सकते हैं। कोचों के पैरेंट्स से बातचीत कर उन्हें सावधान करना चाहिए। पैरंट्स को खिलाड़ियों के डाइट और प्रैक्टिस के बारे में बताना चाहिए। ”
ओलिंपिक मेडल जीतने में पैरंट्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
बैडमिंटर स्टार ने अपनी जीवन यात्रा का जिक्र करते हुए कहा, ‘ंपिक रियो ओलिंपिक से पहले 2015 में वह चोटिल हो गए थे। ऐसे में उनकी माँ नौकरी छोड़कर अपने साथ ही रहने लगी। उनके पिता ने 2 साल की किश्त के बारे में अंक से उभरने में उनकी सहायता की। तब जाकर वे रियो ओलिंपिक में देश के लिए सिल्वर मेडल जीतने में सफल हुए। ” सिंधु ने कहा कि युवा खिलाड़ियों को अपनी ट्रेनिंग और उम्र को लेकर ज्यादा सजग रहना चाहिए। खिलाड़ियों को उम्र की धुंध से भी बचना चाहिए।