कोरोना वायरस के बीच राष्ट्रपति बोल्सोनारो का ये रवैया आश्चर्यजनक है। रियो डी जेनेरियो जैसी भीड़-भाड़ वाले शहर से लेकर अमेजन वर्षाजंगल के दूरस्थ इलाकों तक फैला ब्राजील अब महामारी का दूसरा वैश्विक अधिकेंद्र बनकर उभर कर आ रहा है। दुनिया में ब्राजील तीसरे नंबर हैं जहां सबसे ज्यादा संक्रमण का खतरा है।
ब्राजील, इटली, स्पेन और अमेरिका से काफी अलग है। इस देश की अर्थव्यवस्था अभी विकासशील स्तर पर है और यहां सामाजिक सुरक्षा का स्तर कमजोर है। अप्रैल के अंत में अमेजन के मानौस में जब विशेष रुप से गंभीर बीमारी फैली थी तब ब्राजील के अस्पताल बहुत जल्द भर गए थे और ताबुतों की कमी पड़ गई थी।
17 मई को साओ पाउलो के मेयर ने चेतावनी दी थी कि अगर संक्रमण की संख्या बढ़ती रही तो दो हफ्ते में ही सारे अस्पाल घिर जाएंगे। 19 मई तक ब्राजील में मरने वालों की संख्या 18,000 पहुंच गई है। हालांकि महामारीविदों का कहना है कि ब्राजील में अभी संक्रमण की संख्या चरम पर आनी बाकी है।
ब्राजील में कोरोना वायरस के इतने मामले बढ़ने के पीछे ज्यादातर राजनेता और स्वास्थ्य अधिकारी राष्ट्रपति बोल्सोनारो को जिम्मेदार बताते हैं। राष्ट्रपति बोलसोनारो ने सोशल डिस्टेंसिंग की परवाह ना करते हुए अपने समर्थकों के साथ रैली निकाली।
यही नहीं बोल्सोनारो ने अप्रैल के बीच में अपने स्वास्थ्य मंत्री लुईस मैनडेटा को निकाल दिया था क्योंकि उन्होंने राष्ट्रपति का विरोध किया था। वहीं 15 मई को लुईस की जगह रखे गए एक डॉक्टर जिन्हें राजनीति का बिल्कुल अनुभव नहीं था उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया।
डॉक्टर का इस्तीफे का कारण राष्ट्रपति बोल्सोनारो का उन्हें अर्थव्यवस्था खोलने और वायरस के इलाज के लिए अप्रमाणित दवाई लेने का जोर डालना था। 16 महीने में भी बोलसोनारो की सत्ता में परेशानी आने लगी।
24 अप्रैल को बोल्सोनारो के स्टार जस्टिस मंत्री सर्जियो मोरो ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे का कारण बोल्सोनारो का फेडरल पुलिस में हस्तक्षेप देना था। सर्जियो मोरो का इस्तीफा देना बोल्सोनारो की कैबिनेट को एक बड़ा झटका है क्योंकि वो काफी शक्तिशाली नेता हैं।
राजनैतिक वैज्ञानिक और ब्राजीलियन रिपोर्ट के संस्थापक गुस्ताबो रीबैरो का कहना है कि बोल्सोनारो जैसे व्यक्तिगत किसी महामारी को संभाल नहीं सकते, वह किसी देश को एकता के सूत्र में नहीं बांध सकते क्योंकि उनकी बांटने की राजनीति पर ज्यादा जोर देते हैं।
मानौस के मेयर आर्थर वर्जिलियो नेटो का कहना है कि बोलसोनारो देश में कोविड-19 से हुई मौतों के जिम्मेदार हैं। बोल्सोनारो ने लोगों को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर किया जिसकी वजह से कई लोग वायरस की जद में आए और उनकी मौत हो गई।
साल 2018 में बोल्सोनारो सत्ता में आए थे, राष्ट्रपति बोल्सोनारो ने खुद को स्वतंत्र विचारों और सच बोलने वाला राजनेता के तौर पर प्रस्तुत किया लेकिन 16 महीने में ही उनकी कैबिनेट में उथल-पुथल होने लगी।
ब्राजील के आठ लाख स्वदेशी लोग जो अमेजन रैन फॉरेस्ट के किनारों के समीप रहते थे, महामारी से बचने के लिए काफी कमजोर और उतने जागरुक नहीं हैं। साओ पाउलो में 90 फीसद बिस्तर भरे हुए हैं। रियो डी जेनेरियो में एक अस्पताल में एक हजार बिस्तरों की मांग है जिसका अभी तक इंतजार ही हो रहा है।
इसके अलावा ब्राजील की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ सकता है। हालांकि ब्राजील में लॉकडाउन में प्रतिबंधों में काफी छूट दी गई हैं लेकिन देश की अर्थव्यवस्था पांच फीसद तक गिर सकती है जो 1,900 की मंदी के बाद सबसे बड़ी गिरावट हो सकती है। ब्राजील की सरकार ने उन लोगों के लिए 30 बिलियन डॉलर पैकेज की घोषणा की है जो काम नहीं कर पा रहे हैं।