- यदि क्रूड के भाव में गिरावट नहीं आती है, तो रुपए की हालत आज के मुकाबले काफी खराब होती है
- इस साल क्रूड 33 डॉलर पर तो तेल की मात्रा में भारत को 50 अरब डॉलर की बचत हो जाएगी
दैनिक भास्कर
11 मई, 2020, 05:40 PM IST
नई दिल्ली। आज की आर्थिक परिस्थिति में बहुत कम चीजें हैं जो रुपए के पक्ष में हैं। क्रूड के भाव में गिरावट उन्हें से एक सबसे बड़ी चीज है। बैंक ऑफ अमेरिका के मुताबिक क्रूड के भाव में जितनी गिरावट आई है, उसके हिसाब से भारत को 40 अरब डॉलर की बचत होने का अनुमान है। इससे देश का चालू खाता घाटा कम हो गया है। पिछली बार भारत ने चालू खाता आधिक्य (करेंट खाता सरप्लस) 2004 में दर्ज किया था।
भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, इसलिए सस्ते क्रूड से देश को काफी राहत मिली
भारत कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है। इसलिए क्रूड में गिरावट से देश को काफी राहत मिली है। पिछले महीने डॉलर के मुकाबले दर्ज किए गए अपने निचले स्तर से लगभग 2 प्रति मजबूत हो गया है। डेक्स हेराल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्लूमबर्ग ने रिपोर्ट के बीच किए गए एक सर्वेक्षण के आधार पर कहा है कि वह इस साल के अंत तक एक प्रति और मजबूत होकर डॉलर के मुकाबले 74.74 पर पहुंच सकता है।
यदि क्रूड के भाव में गिरावट नहीं आती है, तो रुपए की हालत आज के मुकाबले काफी खराब होती है
सिंगापुर में नोमुरा होल्डिंग्स इंक के स्ट्रैटेजिस्ट दुष्यंत पद्मनाभन ने कहा कि अभी भी कई चीजें एक साथ रुपए के खिलाफ काम कर रही हैं। यदि इस समय क्रूड के भाव में गिरावट नहीं आती है, तो रुपए की हालत आज के मुकाबले काफी खराब होती है। हालांकि आने वाले समय में रुपये में उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहने का अनुमान है।
इस साल क्रूड 33 डॉलर पर तो तेल आयात में भारत को 50 अरब डॉलर की बचत होगी
बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि चालू कारोबारी साल में क्रूड का भाव 35.5 डॉलर प्रति औंस रहेगा। इस भाव के हिसाब से बैंक ऑफ अमेरिका का अनुमान है कि भारत का कच्चा माल खर्च बारी कारोबारी साल में 44 अरब डॉलर का रहेगा। यह पिछले कारोबारी साल के कच्चे माल के खर्च का लगभग आधा है। मानक अनुवाद का अनुमान है कि चालू कारोबारी वर्ष में क्रूड का भाव 33 डॉलर प्रति औंस पर रहेगा। इस भाव के हिसाब से क्रूड आगे में भारत को 50 अरब डॉलर की बचत होगी। कोरोनावायरस की महामारी और लॉकडाउन के बीच हालांकि यह एक सुखद अनुमान है।
आने वाले समय में कोरोनावायरस महामारी की स्थिति से तय होगा रुपए का भाव
कर रेटिंग्स लिमिटेड ने कहा कि आने वाले समय में रुपए का भाव इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत बहुत जल्दी कोरोनावायरस की महामारी से निजात पा लेता है। क्योंकि क्रूड के भाव में गिरावट और लॉकडाउन की वजह से पेट्रोल-डीजल जैसे पेट्रॉलियम ईंधन की मांग घटने के कारण सरकार के कर राजस्व में 40,000 करोड़ रुपये (5.3 अरब डॉलर) की कमी रह सकती है। वहीं सिटि ग्रुप इंक का अनुमान है कि वायरस के वातावरण में सरकार की कमाई घटने और खर्च बढ़ने के कारण चालू कारोबारी साल में देश का वित्तीय घाटा 8 फीसदी पर पहुंच सकता है। जबकि इसके लिए बजट अनुमान 3.5 प्रति का रखा गया है।
सरकार का कर्ज बढ़ गया है
गोल्डमैन के विश्लेषक डैनी सुवनप्रुति और उनके सहयोगियों ने एक रिपोर्ट में कहा कि आने वाले समय में रुपए की हालत सरकार की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करेगी। सरकार रिले पैकेज का आकार जितना बढ़ाएगी, उसके के मुताबिक रेटिंग्स प्रभावित होंगी। उसी के हिसाब से देश की कर्ज लागत बढ़ जाएगी। इससे विदेशी निवेशक देश से अपनी बहुत पूंजी बाहर निकालेंगे। ये सबके प्रभाव से और कमजोर हो जाएंगे।