वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, इस्लामाबाद
अद्यतित मंगल, 12 मई 2020 11:55 पूर्वाह्न IST
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान (फाइल फोटो)
– फोटो: ट्विटर
ख़बर सुनता है
इस एनजीओ को कई तरह के मीडिया प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है। इसके स्वीडन, फ्रांस और यूके जैसे देशों में भी मौजूदगी है। एएनआई के अनुसार पिछले कुछ वर्षों से यह संगठन बलूचिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों की जानकारियों को इकट्ठा करके, इन सूचनाओं को आंतरिक मीडिया और कुछ अन्य संगठनों को देता है।
कई तरह के स्वयंसेवी कार्यकर्ता और समर्थक संगठन में काम करते हैं जो बलूचिस्तान के हर क्षेत्रों से सूचनाओं को इकट्ठा करके इसकी रिपोर्ट करते हैं। बलूचिस्तान पोस्ट न्यूज डेस्क के अनुसार पाकिस्तान के अधिकारियों ने मानवाधिकार आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर अनिश्चितकाल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है।
उन्होंने बताया कि यदि इस वेबसाइट को खोलने की कोशिश की जाती है तो दिखाई देता है- ‘सुरक्षित सर्फ करें। जिस साइट को आप खोलने की कोशिश कर रहे हैं उसमें ऐसी सामग्री है जो पाकिस्तान में देखने के लिए प्रतिबंधित है। ‘ एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान की इस कार्रवाई से आयोग को आघात पहुंचा है।
संगठन का कहना है कि वह एक निष्पक्ष और निर्दलीय मानवाधिकार संगठन है न कि बलूचिस्तान में युद्ध की एक पार्टी है। बलूचिस्तान में मीडियाकर्मियों पर लगाए गए प्रतिबंध की यह पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी पारदर्शी और दोषपूर्ण के बावजूद बलूचिस्तान पोस्ट नेटवर्क को प्रतिबंधित किया गया था। इसके अलावा कुछ अन्य संगठन भी प्रतिबंधों का सामना कर रहे हैं।
पत्रकार और मानवाधिकार समूहों का आरोप है कि उन्हें बलूचिस्तान में काफी कड़े मीडिया प्रतिबंधों के तहत काम करना पड़ रहा है। यहां जनता की राय को दबाया जाता है, राजनीतिक अनुकरणोश को क्रूरता से रोका जाता है और बोलने की स्वतंत्रता पर रोक लगाई जाती है। पाकिस्तान यहां के लोगों की आवाज को दबाता रहता है।