ख़बर सुनें
शोधकर्ताओं ने 110 कोरोना संक्रमित मरीजों पर अध्ययन किया है जिनकी हालत संक्रमण के चलते अधिक खराब थी। इसमें पता चला है कि 62 फीसदी मरीजों के दाई और स्थित चैंबर का आकार बड़ा हो गया था।
इसका काम ऑक्सीजन और खून पहुंचाना होता है। संक्रमण के चलते फेफड़ों तक रक्त नहीं पहुंच पाने या दूषित रक्त पहुंचने के चलते मरीजों की मौत हुई। शोधकर्ताओं के जिन 110 मरीजों का चुनाव किया गया था उस में 11 की मौत तुरंत हो गई थी जिसका कारण हृदय संबंधी तकलीफ थी। शोध के अनुसार, इकोकार्डियोग्राम की जांच रिपोर्ट के अनुसार दाएं चैंबर के बड़े होने के कारण 41 फीस दी मरीजों की मौत हुई थी जबकि 11 फीसदी मरीजों की मौत में चैंबर का आकार सामान्य था।
इलाज के दौरान हृदय की जांच भी जरूरी
वैज्ञानिकों का कहना है कि मरीजों के इलाज के साथ उनकी हृदय की जांच भी करते रहना होगा। (जेएसीसी) कार्डियोवैस्कुलर इमेजिंग जर्नल में प्रकाशित शोध में डॉक्टरों का कहना है, संक्रमित की इकोकार्डियोग्राम (ईकेजी) जान जरूरी है जिससे पता चल सके कि वायरस के कारण उसके हृदय की कार्यक्षमता पर कोई असर तो नहीं पड़ा है। ईकेजी जांच में पता चला है कि हकीकत 30 फीसदी मरीजों के राइट वेंट्रीकल का आकार सामान्य से बड़ा है जो चिंताजनक था।
हार्ट चैंबर बड़ा होना ह्रदय रोग नहीं
वैज्ञानिकों का कहना है कि हृदय चैंबर का बड़ा होना इस बात का संकेत नहीं है कि हृदय रोग है इससे यह साबित होता है कि कोई और दूसरी चीज है जो हृदय पर दबाव बना रही है हालांकि वैज्ञानिकों को यह पता नहीं चल सका है कि आखिर हृदय का दाया चैंबर ही बड़ा क्यों हो रहा है। बस कयास लगाया जा रहा है कि ऑक्सीजन का स्तर कम होने, रक्त वाहिकाओं के कठोर होने से ऐसा होता है जिसका कारण वायरस का हमला हो सकता है।
35 फीसदी मरीजों में लक्षण नहीं: सीडीसी
ऐसे संक्रमित मरीज दुनिया भर के लिए चुनौती बने हैं जिनमें रोग के लक्षण नहीं हैं। अमेरिकी संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीसी) ने कहा है कि कोरोना वायरस एक तिहाई मरीज बिना लक्षण वाले हैं।
सीडीसी के अनुसार 40 फीसदी संक्रमण रोग संक्रमण फैलाते रहते हैं और उन्हें पता ही नहीं होता कि वे बीमार हैं। सीडीसी का कहना है कि इन आंकड़ों में बड़ा बदलाव आ सकता है क्योंकि यह 29 अप्रैल तक एकत्र किए गए आंकड़ों के विश्लेषण के बाद यह परिणाम आया है। अमेरिका में 65 और इससे अधिक उम्र के 1.3 फीस दी और 49 वर्ष से कम उम्र के 0.05 फीसदी लोगों की मौत हुई जिनमें संक्रमण के लक्षण दिखे थे।