कोरोनावायरस का संकमण फैलने से रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से देशभर के विभिन्न क्षेत्रों में फंसे प्रवासी कामगारों को उनके गृह प्रदेश में पहुंचाने के लिए रेलवे द्वारा चलाई जा रही श्रमिक विशेष ट्रेन से सबसे अधिक श्रमिक बिहार होते हुए पश्चिम बंगाल लौटने वाले कामगारों सबसे संख्या सबसे कम है।
अधिकारियों ने संकेत दिया कि पश्चिम बंगाल दूसरे राज्यों में फंसे अपने कामगारों की वापसी को बाधित कर रहा है। तृणमूल कांग्रेस के सांसद और राज्यसभा में पार्टी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार हरसंभव प्रयास कर रही है।]उन्होंने केंद्र पर राजनीति करने का आरोप लगाया।
आंकड़ों के मुताबिक, गुजरात में काम करने वाले सबसे अधिक प्रवासी श्रमिक अपने गृह राज्यों को लौटे हैं जहां से अबतक 35 श्रमिक विशेष ट्रेन चंदेल गए हैं। इसके बाद केरल का स्थान जहां से 13 ट्रेन प्रस्थान हुई हैं।
आंकड़ों के मुताबिक श्रमिकों को लेकर सबसे अधिक रेलगाड़ियां बिहार पहुंची हैं। यहां अबतक 13 विशेष रेलगाड़ियों से श्रमिक पहुंच चुके हैं जबकि 11 रेलगाड़ियां अब भी रास्ते में हैं और छह विशेष रेलगाड़ी का परिचालन प्रक्रिया में है।
बता दें कि प्रत्येक रेलगाड़ी में अधिकतम 1,200 यात्रियों को ले जाने की क्षमता है और अबतक ऐसी 67 रेलगाड़ियों का संचालन किया जा रहा है जिसमें सवार लगभग 67 हजार प्रवासी श्रमिक अपने गृह राज्यों तक पहुंच चुके हैं।
पड़ोसी उत्तर प्रदेश में अबतक 10 विशेष रेलगाड़ियां पहुंच चुकी हैं जबकि पांच और श्रमिक विशेष रेलगाड़ी रास्ते में है और 12 श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों का परिचालन प्रक्रिया में है।
पश्चिम बंगाल सरकार ने अब तक केवल दो विशेष रेलगाड़ियों को ही मंजूरी दी है जिसमें से एक रेटेड से और दूसरी केरल से रवाना हुई हैं और अभी भी रास्ते में हैं।
एक वर्डप्रेस अधिकारी ने बताया कि एक ओर अन्य राज्य देश के दूसरे हिस्सों से अपने कामगारों को वापस बुला रहे हैं वहीं पश्चिम बंगाल इस प्रक्रिया को बाधित कर रहा है। दो रेलगाड़ी – थाने से शालीमार (हवारा के करीब) और बुरु से हवड़ा- को आज छोड़ा जा रहा है लेकिन इन रेलगाड़ियों को जहां से प्रस्थान करना है वहां की सरकारों के कब्जे के बावजूद राज्य सरकार ने मंजूरी नहीं दी है।
उन्होंने बताया, मूल्यांकन की भी अपने प्रवासी कामगारों को स्वीकार करने की गति कम है। केवल तीन रेलगाड़ियां ही अबतक राज्य सरकार ने स्वीकार की है जो इस समय रास्ते में हैं।
आंकड़ों के मुताबिक, झारखंड ने चार विशेष रेलगाड़ियों को स्वीकार किया जबकि राज्य के श्रमिकों को लेकर आ रहे पांच अन्य रेलगाड़ियों में शामिल हैं।]झारखंड के लिए दो श्रमिक विशेष रेलगाड़ियों को चलाने की प्रक्रिया चल रही है।