नई दिल्ली43 मिनट पहले
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निशाने में गश्त के दौरान भारतीय सैनिक (फाइल)
एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्वी इंडेक्स के 65 में से 26 पेट्रोलिंग पॉइंट ऐसे हैं, जहां भारतीय सैनिकों की मौजूदगी नहीं है। यह रिपोर्ट लेह-लद्दाख के एसपी पीडी नित्या ने पिछले दिनों एक विस्तारित में पेश की थी। वास्तव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और एनएसए अजीत डोभाल भी मौजूद थे।
दूसरी तरफ, रक्षा मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए कहा है कि चीन ने देश की जमीन के किसी हिस्से पर कब्जा नहीं किया है।
रिपोर्ट में क्या है
एनडीटीवी ने पीडीऍफ़ नित्या की इस रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी है। इसके अनुसार- 65 पेट्रोलिंग पॉइंट ऐसे हैं, जहां पहले भारतीय सुरक्षा बल रेगुलर गैसरिंग करते थे। ये काराकोरम दर्रे से चुमुर तक मान्य हैं। इनमें से 26 ऐसे पॉइंट हैं जहां अब हमारी सेना गश्त नहीं कर पा रही है। ये हैं- 5 से 17, 24 से 32 और 37। यह रिपोर्ट पिछले देश के आला पुलिस अधिकारियों की पेश की गई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक- चीन के बाद में इस बात के लिए दबाव डालेगा कि इन पॉइंट्स पर भारतीय सेना की मौजूदगी लंबे समय तक नहीं है और यहां चीनी सैनिक मौजूद हैं। इस तरह यह प्रतिबंधित जोन बन जाएंगे और निश्चित रूप से इन पर हमारा नियंत्रण समाप्त हो जाएगा। इस तरह चीन इंच इंच जमीन पर कब्जा कर लेगा। इसे विशिष्ट स्लाइसिंग टेक्टिक्स कहते हैं।

गालवान में हुई झड़प के बाद भारतीय सेना ने मैसेज में नई सड़कें भी तैयार की हैं।
मबर जोन का फायदा उठा रहा है चीन
नित्या की रिपोर्ट के मुताबिक- चीन मफर जोन या फफर एरिया का फायदा उठा रहा है। (बफर जोन उस इलाके को कहते हैं, जो खाली होता है और जहां किसी का कब्जा या नियंत्रण नहीं होता है) वो यहां की सबसे ज्यादा नौकरी पर हाईटेक कैमरा लगा रहा है और उसके जरिए भारतीय सेना की आवाजाही की निगरानी कर रहा है। वो मर्ज जोन को भी अपना रिज्यूम और इस तरह और मफर जोन बनाएं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 2020 में गालवान में हुई हिंसक झड़पों के बाद चीन ने यही रणनीति अपनाई थी। इससे हमारे सैनिकों के हौसलों पर भी असर पड़ता है।
मैंने कोई जमीन नहीं खोई
इस रिपोर्ट के बारे में सबसे पहली जानकारी अंग्रेजी अखबार द हिंदू ने दी थी। द हिंदू इंटरेक्शन में डिफेंस से जुड़े एक सूत्र ने कहा- हमने अपनी जमीन का कोई हिस्सा नहीं छोड़ा। कुछ आतंकी ऐसे जरूर हैं जहां दोनों ही देशों के सैनिक गश्त नहीं कर रहे हैं। जिन सेक्टरों से पीछे हटने का समझौता हुआ था वहां हमारे भी कई कैमरे लगे हैं। इन क्षेत्रों में सेना सिविल प्रशासन के साथ काम कर रही है।
यह रिपोर्ट ऐसे वक्त के सामने आई है, जबकि एक महीने पहले ही भारत ने आरोप लगाया था कि चीन एकतरफा तौर पर इलाके में हरकत की कोशिश कर रहा है।