ख़बर सुनता है
सार
- ओली पर भ्रष्टाचार और अलोकतांत्रिक तरीके से काम करने के गंभीर आरोप
- गृह मंत्री ने संसद में सभी विवादास्पद विधेयक पेश किए
विस्तार
जैसा कि आशंका थी नेपाल में बजट सेशन का पहला दिन बेहद हंगामेदार रहा। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही विपक्ष ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर तमाम तरह के आरोप लगाए और रिजफे की मांग की। विपक्ष ने प्रधानमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और कोरोनावायरस को फैलाने से रोकने में सरकार की नाकामी के साथ ही सरकार को लोकतांत्रिक प्रक्रिया न अपनाने के लिए घेरा। विपक्ष ने कहा कि ओली को कुर्सी पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
इससे पहले संसद में पहुंचने वाले सभी सदस्यों की मेडिकल जांच की गई और पूरे परिसर को सैनिटरीज़ किया गया। सदस्यों ने बोलने से पहले अपने फेसफ़ल हटा दिए थे, ऐसे में हर सदस्य के बोलने के बाद माइक और पोडियम को बार बार सैनिटरीज़ किया जा रहा है।
स्पीकर अग्नि प्रसाद सपकोटा ने सदस्यों का स्वागत किया और बताया कि राष्ट्रपति ने रविवार को संसद का संयुक्त सत्र बुलाया है। प्रधानमंत्री ओली की तरफ से गृह मंत्री राम बहादुर थापा ने उन दोनों विवादास्पद संशोधन विधेयक भी पेश किए जिन्हें पिछले दिनों ओली ने मनमानी से पास करवाकर राष्ट्रपति से मंजूरी भी दिलवा दी थी और जबरदस्त दबाव के बाद जिन्हें वापस लेना पड़ा था। ये संशोधन विधेयक हैं – संवैधानिक समिति (पहला संशोधन) बिल और राजनीतिक दल (दूसरा संशोधन) बिल।
इसी तरह मुख्य विपक्षी दल के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने हाल के विवादों को लेकर सरकार की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि ओली सरकार ने नैतिक और राजनीतिक रूप से सत्ता में बने रहने का अधिकार खो दिया है। सरकार तमाम तरह के भ्रष्टाचार के मामलों के साथ-साथ असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक तरीके से काम कर रही है, इसलिए ओली को तत्काल इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने नेपाल में कोरोना के तेजी से बढ़े मामले और सरकार की इस मोर्चे पर भी नाकामी का जिक्र किया। पूर्व प्रधान बाबूराम भट्टाराई ने भी ओली सरकार पर ऐसे ही आरोप लगाए।