चिड़ियाघर प्रशासन ने कहा कि कल सुबह, मिसीसिपी मगरमच्छ ‘सेटर्न’ (मगरमच्छ का नाम) की अधिक उम्र हो जाने से मौत हो गई। वह करीब 84 वर्ष का था।
अमेरिका में जन्म होने के तुरंत बाद ही सेटर्न को 1936 में बर्लिन चिड़ियाघर को तोहफे में दिया गया था। 1943 में चिड़ियाघर पर हुई बमबारी में वह बच निकला था। ब्रिटिश जवानों को वह तीन साल बाद मिला और उन्होंने उसे सोवियत संघ को दे दिया।
यह बात आज भी एक राज है कि वह बमबारी में कैसे बच गया और बाकी के साल उसने कैसे गुजारे। लेकिन जुलाई 1946 आते-आते मॉस्को चिड़ियाघर में इसे देखने वालों की भीड़ जुटना शुरू हो गई।
चिड़ियाघर ने एक बयान में कहा कि मॉस्को चिड़ियाघर के लिए यह सम्मान की बात है कि उसने सेटर्न को 74 वर्षों तक अपने यहां रखा। इसमें कहा गया है कि हमारे लिए सेटर्न एक पूरा युग था और उसने हम में से कई लोगों को तब से देखा था जब हम बच्चे थे। हम आशा करते हैं कि हम उसे निराश नहीं करेंगे।
बयान में कहा गया कि सेटर्न अपने रखवालों को अच्छी तरह से पहचानता था और उनके द्वारा ब्रश के जरिए दी जाने वाली मसाज को काफी पसंद करता था। साथ ही वह परेशान होने पर स्टील से खिलाने वाले चम्मच और कंक्रीट को तोड़ने की क्षमता रखता था।
इसमें कहा गया कि मिसीसिपी मगरमच्छ आमतौर पर 30-50 साल तक जंगलों में जीवित रहते हैं। यह मुमकिन है कि सेटर्न दुनिया का सबसे बूढ़ा मगरमच्छ रहा हो, ऐसा कहना संभव है। एक अन्य मादा मगरमच्छ मूजा जो सर्बिया के बेल्ग्रेड चिड़ियाघर में हैं, उसकी उम्र 80 वर्ष है और वह अभी जिंदा है।
इस मगरमच्छ को लेकर सबसे ज्यादा ये खबरें सुर्खियों में रहीं कि सेटर्न हिटलर का पालतू मगरमच्छ था। हालांकि, इस बात का कोई प्रमाण नहीं है। इंटरफेक्स न्यूज एजेंसी ने रिपोर्ट दी कि इसके आगमन के लगभग तुरंत बाद, यह मिथक फैल गया कि यह हिटलर के संग्रह वाला जानवर था और इसका बर्लिन चिड़ियाघर से कोई लेना-देना नहीं है।
हालांकि, यह बात अस्पष्ट है कि यह अफवाह कैसे फैली। मॉस्को चिड़ियाघर ने भी इन रिपोर्टों को खारिज कर दिया और कहा कि जानवर राजनीति से संबंधित नहीं होते हैं।
Вчера утром наш миссисипский аллигатор Сатурн умер от старости. Ему было около 84 лет – крайне почтенный возраст. Московскому зоопарку выпала честь содержать Сатурна 74 года. Он видел многих из нас детьми. Надеемся, что мы его не разочаровали. pic.twitter.com/UigsB8xwBv
— Московский Зоопарк (@moscowzoo) May 23, 2020