अलाफ पटेल की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट, कैसे मजदूर से बने टीम इंडिया के स्टार खिलाड़ी?
जीवन की स्क्रिप्ट भगवान कैसे लिखता है ये कोई नहीं जान सकता, जानिए कैसे पत्थर तोड़ने वाले मजदूर पर फिदा हो गए सचिन (सचिन तेंदुलकर) और उन्होंने टीम इंडिया को वर्ल्ड कप भी जिता दिया।
अलाफ पटेल (मुनफ पटेल) के वर्ल्ड चैंपियन गेंदबाज बनने की कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं। आपको यकीन नहीं होगा कि टीम इंडिया का ये पूर्व तेज गेंदबाज कभी पत्थर तोड़ने वाला मजदूर था और उसे 8 घंटे तक काम करने के महज 35 घंटे तक मिले थे। तो फिर कैसे प्रतियोगीफ पटेल टीम इंडिया में आ गए? आखिर कैसे बदली पट की जिंदगी बदल गई? क्या होने जा रहा है अस्वीकरण पटेल के जीवन का टर्निंग प्वाइंट, आगे हमारी विशेष रिपोर्ट में।
अलाफफ पटेल का जीवन
अवतारफ मूसा पटेल (मुनाफ पटेल) का जन्म 12 जुलाई, 1983 को गुजरात के इकहर में हुआ था। अलाफ के पिता एक मार्बल फैक्ट्री में काम करते थे और वह खुद भी अपने परिवार का पेट पालने के लिए पत्थर तोड़ते थे। अलाफ पटेल महज 35 रुपये के लिए 8 घंटे तक पत्थर तोड़ते थे। हालांकि अलाफ पटेल अपने गांव और आसपास के इलाकों में काफी प्रसिद्ध थे, इसकी वजह उनका गेंदबाजी की चाल थी। उस पूरे इलाके में अलाफ मैदान की तरह कोई भी गेंदबाज की गेंदों में नहीं था। हालांकि मुनाफाफ का क्रिकेटर बनने का सपना दूर-दूर तक नहीं था। पिता ने तब अलाफ को जाम्बिया भेजने की तैयारी कर ली थी। दरअसल मुनाफाफ के चाचा जांबिया में काम करते थे और परिवार को गरीबी से बाहर निकालने के लिए पिता ने उन्हें विदेश भेजने की पूरी तैयारी कर ली थी, हालांकि ऐसा हो नहीं पाया था।ऐसी बदली अल्पफाल की जिंदगी
अलाफ पटेल (मुनफ पटेल) जाम्बिया के पत्थर तोड़ने वाले मजदूर नहीं बन पाए और ये यूसुफ भाई थे। ये वो शख्स हैं जिनके एक फैसले ने अलाफ पटेल की जिंदगी ही बदल दी। यूसुफ नाम का ये शख्स अलाफ पटेल के घर के पास ही रहता था, जो कि वहाँ के अन्य लोगों से पढ़ा-लिखा था। अलाफ ने पिता के कहने पर पत्थर तोड़ने का फैसला कर लिया था लेकिन यूसुफ ने उन्हें क्रिकेटर बनने के लिए मजबूर किया। अलाफ पटेल को उन्होंने अपने साथ बड़ौदा चलने के लिए कहा। अलाफ को बात सही लगी और हेंसी भी भर दी। लेकिन घर पर बवाल हो गया। पिता बिफर गए लेकिन जैसे-तैसे अलफफ की मां ने उन्हें ही मनाया।
अलाफफ का क्रिकेट सफर
यूसुफ भाई के साथ अलाफ पटेल (मुनफ पटेल) बड़ौदा आ गए और उन्होंने इस तेज गेंदबाज को किरण मोरे की एकेडमी में एडमिशन दिला दिया। यही नहीं यूसुफ ने अलाफ को तेज गेंदबाज के जूते भी दिलाए, उस समय उसकी कीमत 400 रुपये थी। सोचिए 35 रुपये रोज कमाने वाले मजदूर को आप 400 रुपये के जूते खरीदवा देंगे तो उसे ऐसा लगेगा। अलाफ पटेल ने यूसुफ के उस एहसान को अपने लिए आशीर्वाद मांगा और वो एकेडमी में प्रशिक्षण करने में लग गए। अलाफ की तेजी ने एकेडमी के शिष्यों के होश उड़ा दिए। कोई अलाफ की गेंदों से डरकर भाग रहा था, तो कोई उनकी गेंदों को छूने तक नहीं पा रहा था। एकेडमी के कोच और पूर्व भारतीय विकेटकीपर किरण मोरे ने जब अलाफ को देखा तो समझ लिया कि उनकी एकेडमी में एक 680 आ चुके है जो टीम इंडिया की नीली जर्सी पहनने लायक है।
डेनिस लिली और स्टीव वै मुरीद बने
20 साल के अलाफ (मुनाफ पटेल) को किरण मोरे ने चेन्नई स्थित एमआरएफ पेसिफिक फाउंडेशन भेजा, जिसने उनकी जिंदगी को बदल दिया। दरअसल मुनाफाफ पटेल ने महान तेज गेंदबाज डेनिस लिली और स्टीव वै जैसे दिग्गजों को अपना मुरीद बना दिया। फायरफ की अप के चर्चे अचानक अखबारों की सुर्खियां बन गए। दरअसल 2000 केनर्स राउंड में टीम इंडिया के पास मुनाफाफ पटेल जितना तेज गेंदबाज नहीं था। अलाफ पटेल 144 किमी। / घंटे की रफ्तार से गेंदबाजी करते थे, जो कि उस वक्त काफी ज्यादा था। गुजरात और बड़ौदा की रणजी टीमें अलाफ पटेल को अपने से जोड़ना चाहता था लेकिन अलाफ को फर्स्ट क्लास मैच खेलने से पहले ही भारत ए के लिए चुन लिया।
सचिन ने मुंबई के लिए खेलने का न्योता दिया
2003 में प्रतिद्वंद्वीफ (मुनफ पटेल) ने राजकोट में अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू किया और उन्होंने वहां की पाटा तस्वीर पर टीवी के 5 पीटर्सन को ढेर किया। अलाफ के इस प्रदर्शन से सचिनंदुलकर भी प्रभावित हुए और उन्होंसन अवतारफ को मुंबई के लिए रणजी ट्रॉफी खेलने का न्योता दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया। इसके बाद धर्मफाल ने 9 मार्च को इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट डेब्यू किया और 3 अप्रैल को प्रतियोगियोंफ ने वनडे डेब्यू किया। इसके बाद मुनाफाफ के पास ना तो पैसे की कमी थी और ना ही इज्जत और शोहरत की।
धोनी का बड़ा खुलासा, कहा- मुझे डर लगता है और दबाव में रहता है
News18 हिंदी सबसे पहले हिंदी समाचार हमारे लिए पढ़ना यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर । फोल्ट्स। देखिए क्रिकेट से संलग्न लेटेस्ट समाचार।
प्रथम प्रकाशित: 8 मई, 2020, शाम 5:11 बजे IST
->