जानिए कैसे बदला वीरेंद्र सहवाग का करियर

वीरेंद्र सहवाग (वीरेंद्र सहवाग) ने भारत के लिए 104 टेस्ट, 251 वनडे और 19 टी 20 मैच खेले, इस विस्फोटक बल्लेबाज ने वनडे में दोहरा शतक जड़ा और टेस्ट में दो तिहरे शतक ठोके।

नई दिल्ली। वीरेंद्र सहवाग … भारतीय क्रिकेट इतिहास का वह सितारा जिसने अपनी बल्ले के तूफान से कई गेंदबाजों के करियर खत्म कर दिए। वे लोग जिनके बैट से निशाने नहीं मिस निकलती थी। गेंदबाज की लैथ बिगाड़नी हो, विरोधी टीम को पूरी तरह से ध्वस्त करना हो, तो ये काम वीरेंद्र सहवाग (वीरेंद्र सहवाग) से अच्छा शायद कोई नहीं जानता था। कहने को सहवाग एक आक्रामक बल्लेबाज थे लेकिन उनके अंदर टेस्ट में तिहरे शतक जड़ने का संयम भी था।

वीरेंद्र सहवाग (वीरेंद्र सहवाग) ने अपने करियर में 104 टेस्ट में 8586 रन बनाए, उनकी बल्लेबाजी से 23 शतक निकले। जिसमें उन्होंने दो बार तिहरे शतक ठोके। वनडे में भी सहवाग ने 8273 रन बनाए, उनकी बल्लेबाजी से 15 शतक निकले। सहवाग ने अपने करियर में कई ऐसे रिकॉर्ड बनाए और तबड़े जिनके बारे में सोचने भर से हिस्पैनिकों को वापस आ जाता है। लेकिन यहाँ दिलचस्प बात यह है कि वीरेंद्र सहवाग शुरुआत से ऐसे विधायक खिलाड़ी नहीं थे। जब उन्होंने टीम इंडिया में कदम रखा था तो वह एक कामचलाऊ खिलाड़ी के तौर पर टीम का हिस्सा बने थे। मतलब ऐसा खिलाड़ी जो थोड़ा बहुत स्पिन कर लेता है और आखिरी के ओवरों में तेजी से रन बनाता है।

सहवाग (वीरेंद्र सहवाग) ने टीम इंडिया के लिए साल 1999 में पाकिस्तान के खिलाफ डेब्यू किया। उन्होंने अपने 3 ओवरों में 35 रन लुटाए और बल्ले से वो महज 1 रन का योगदान दे सके। सहवाग को टीम से बाहर कर दिया गया। डेढ़ साल तक ये खिलाड़ी टीम में नहीं चुना गया, लेकिन फिर वो दिन आया जिसने सहवाग ही नहीं बल्कि हिंदुस्तान के क्रिकेट की सूरत ही बदल दी।

सहवाग के करियर का टर्निंग पॉइंटडेढ़ वर्षों तक टीम से बाहर रहने के बाद सहवाग (वीरेंद्र सहवाग) की एक बार टीम इंडिया में एंट्री हुई। जि तिरुवनंतपुरम के खिलाफ वनडे सीरीज में उन्हें फिर से टीम में चुना गया। इसमें से एक में उनकी बल्लेबाजी नहीं आई और दूसरे मैच में वे केवल 19 रन ही बना सकीं। हालांकि सौरव गांगुली की टीम ने उनपर भरोसा बनाए रखा और फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 25 मार्च 2001 को सहवाग ने अपने वनडे करियर की पहली हाफस क्वेंचुरी ठोक दी। सहवाग की इस हाफस क्वेंचुरी ने कप्तान सौरव गांगुली को बहुत प्रभावित किया। फिर 7 मैचों के बाद उन्होंने एक ऐसा फैसला लिया जिसे जानकर टीम इंडिया ही नहीं खुद सहवाग (वीरेंद्र सहवाग) भी हैरान रह गए।

कोका कोल कप में ओपनिंग का मौका मिला
वर्ष 2001 में श्रीलंका में कोका कोला कप का आयोजन हुआ। सचिन तेंदुलकर भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे। ऐसे में सौरव गांगुली के साथ ओपनिंग करने वाला कोई दूसरा खिलाड़ी नहीं था। पहले दो मैचों में गांगुली और युवराज सिंह ने ओपनिंग की, लेकिन मामला कुछ जमा नहीं किया। टीम ने मंटाना की और गांगुली ने सहवाग के साथ ओपनिंग करने का फैसला किया। 26 जुलाई 2001 को सहवाग (वीरेंद्र सहवाग) पहली बार ट्रायल के तौर पर ओपनिंग करने उतरे। सहवाग ने बतौर ओपनर पहली पारी में 54 गेंदों में 33 रन बनाए लेकिन उसके बाद 2 पारियों में वो फ्लॉप रहे। हालांकि सौरव गांगुली ने सहवाग को पूरे टूर्नामेंट में ओपनिंग करने का भरोसा दिया था। 2 अगस्त 2001 को सहवाग ने न्यूजीलैंड के खिलाफ महज 70 गेंदों में 100 रन बनाकर तहलका मचा दिया। सहवाग का ये प्रयोग काम कर गया और उसके बाद सहवाग बतौर ओपनर ही टीम इंडिया में खेले।

बड़ी बात ये है कि सचिन तेंदुलकर की टीम में बदलाव के बाद सहवाग के लिए कप्तान सौरव गांगुली ने अपनी ओपनिंग छोड़ी। गांगुली ने सहवाग को सचिन के साथ ओपनिंग कराई और खुद वो तीसरे नंबर पर खेले। गांगुली के इस बलिदान की सहवाग ने लाज रखी और विरोधी गेंदबाजों की जमकर धुनाई की।

टेस्ट में ऐसे ओपनर बने सहवाग

वनडे में बतौर ओपनर गजब की बल्लेबाजी करने के बाद सहवाग (वीरेंद्र सहवाग) को टेस्ट में डेब्यू का मौका मिला। सहवाग को दक्षिण अफ्रीका दौरे पर ब्लोमफोंटेन टेस्ट की प्लेइंग इलेवन में शामिल किया गया। हालांकि वे ओपनिंग नहीं मिडिल सेवा में खेले। ब्लोमफोंटेन की मुश्किल तस्वीर पर टीम इंडिया ने काफी जल्दी 4 विकेट गंवा दिए थे लेकिन जब सहवाग ने क्रीज पर कदम रखा तो उसके बाद सबकुछ बदल गया। सहवाग ने अपनी पहली टेस्ट पारी में ही शतक ठोक दिया। सहवाग ने पहली पारी में 105 और दूसरी पारी में 31 रन बनाए। टीम इंडिया ये मैच हार गई लेकिन सहवाग ने ये दिखा दिया कि ये बल्लेबाज टेस्ट मैच खेलने का दम रखता है।

सहवाग (वीरेंद्र सहवाग) ने अपने करियर के 5 टेस्ट मैच मिडिल नंबर में ही खेले और उसके बाद कप्तान सौरव गांगुली ने इंग्लैंड दौरे पर इस बल्लेबाज को बतौर ओपनर उतारने का फैसला किया। इंग्लैंड की मुश्किल पिचों पर ओपनिंग करना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि गेंद हवा में काफी स्विंग होती है। कई क्रिकेट एक्सपर्ट्स को गांगुली के इस फैसले पर शक था लेकिन सहवाग ने लॉर्ड्स में खेले गए पहले टेस्ट में 96 गेंदों में 84 रनों की धमाकेदार पारी खेल डाली। इसके बाद सहवाग ने ट्रेंट ब्रिज टेस्ट में 106 रन बनाए। बतौर टेस्ट ओपनर ये सहवाग का पहला शतक था। बस उनकी इस पारी ने सहवाग को टीम इंडिया में बतौर टेस्ट और वनडे ओपनर स्थापित कर दिया। गांगुली का सहवाग को बतौर ओपनर मैदान में उतारना ही नजफगढ़ के नवाब की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट रहा।

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प्रथम प्रकाशित: 5 मई, 2020, 5:05 PM IST


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