एशिया-प्रशांत क्षेत्र में लगातार अपनी दादागिरी दिखा रहे चीन को घेरने के इरादे से बने चार देशों के संगठन क्वाड के सख्त संदेश से ड्रैगन अब घबराने लगा है। 12 मार्च को क्वाड देशों के प्रमुखों की पहली वर्चुअल शिखर बैठक हुई, लेकिन इससे पहले ही चीन ने घबराहट भरा बयान जारी कर कहा कि ऐसे समूह नहीं बनाए जाना चाहिए और न ही किसी तीसरे देश को निशाना बनाया जाना चाहिए।
नाटो जैसा ताकतवर बन उभर सकता है क्वाड
दरअसल, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी झेल रहे खासकर जापान व भारत ने क्वाड की पहल की। चीन की घेराबंदी में जुटे अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया इसमें शामिल हुए तो यह ताकतवार क्षेत्रीय संगठन बनकर उभरा। यह नाटो की तर्ज पर एशिया-प्रशांत का शक्तिशाली समूह बनकर उभर सकता है।
शिखर बैठक में चीन को परोक्ष नसीहत
क्वाड की पहली शिखर बैठक में भारत की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा शामिल हुए। इन नेताओं ने एक बार फिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को लेकर प्रतिबद्धता जताई। क्वाड नेताओं ने दक्षिण और पूर्व चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता पर भी जोर दिया है।
घबराए चीन ने यह कहा था
चीन ने उक्त शिखर बैठक शुरू होने से पहले ही बयान जारी कर कहा था कि दुनिया के देशों को किसी तरह का खास समूह नहीं बनाना चाहिए और न ही किसी तीसरे देश के हितों को नुकसान पहुंचाना चाहिए।
मोटे तौर पर तो क्वाड चार देशों का संगठन है और इसमें भारत,अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। ये चारों देश विश्व की बड़ी आर्थिक शक्तियां हैं। ये एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी व प्रभाव को काबू में करना चाहते हैं।
मोदी, बाइडन, मॉरिसन व योशिहिदे ने लिखा साझा लेख
पहली शिखर बैठक के मौके पर क्वाड देशों के चारों प्रमुख नेताओं- पीएम नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन व जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे ने ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ में एक साझा लेख लिखा। इसमें कहा गया कि यह संगठन संकट के समय बना और 2007 में यह कूटनीतिक संवाद का अहम जरिया बना। 2017 में यह नए रूप में सामने आया।
क्वाड को लेकर एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इसकी अवधारणा औपचारिक रूप से पेश की। हालांकि इससे पहले 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के वक्त राहत कार्यों के बने समूह को भी इससे जोड़ा जाता है। 2012 में आबे ने हिंद महासागर से प्रशांत महासागर तक समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका को शामिल करते हुए एक ‘डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड’ बनाने का इरादा जताया था।
क्वाड प्लस तक पहुंची बात
क्वाड तो पहले से सक्रिय था ही अब कोविड-19 संकट के मद्देनजर हाल में अमेरिका ने क्वाड प्लस की शुरुआत की है। इसमें ब्राजील, इस्राइल, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और वियतनाम को शामिल किया गया है। इसी तरह ब्रिटेन द्वारा भारत समेत विश्व के 10 लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाने पर विचार किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य चीन पर निर्भरता को कम करते हुए इन देशों के योगदान से एक सुरक्षित 5जी नेटवर्क का निर्माण करना है।
दो प्रमुख पड़ोसी देशों चीन व पाकिस्तान के शत्रुतापूर्ण व्यवहार को देखते हुए सीमा विवाद व उससे उत्पन्न होने वाले खतरों के कारण भारत क्वाड सदस्य देशों के साथ मिलकर क्षेत्र में नई व्यवस्था स्थापित करना चाहता है। विश्व व्यापार की दृष्टि से हिंद महासागर का समुद्री मार्ग चीन के लिए महत्वपूर्ण है। यहां क्वाड की ताकत से उसे काबू में किया जा सकता है। क्वाड के सहयोग के दम पर भारत सीमा पर होने वाले तनाव से भी बेहतर ढंग से निपटन में सक्षम हो गया है।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में लगातार अपनी दादागिरी दिखा रहे चीन को घेरने के इरादे से बने चार देशों के संगठन क्वाड के सख्त संदेश से ड्रैगन अब घबराने लगा है। 12 मार्च को क्वाड देशों के प्रमुखों की पहली वर्चुअल शिखर बैठक हुई, लेकिन इससे पहले ही चीन ने घबराहट भरा बयान जारी कर कहा कि ऐसे समूह नहीं बनाए जाना चाहिए और न ही किसी तीसरे देश को निशाना बनाया जाना चाहिए।
नाटो जैसा ताकतवर बन उभर सकता है क्वाड
दरअसल, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागिरी झेल रहे खासकर जापान व भारत ने क्वाड की पहल की। चीन की घेराबंदी में जुटे अमेरिका व ऑस्ट्रेलिया इसमें शामिल हुए तो यह ताकतवार क्षेत्रीय संगठन बनकर उभरा। यह नाटो की तर्ज पर एशिया-प्रशांत का शक्तिशाली समूह बनकर उभर सकता है।
शिखर बैठक में चीन को परोक्ष नसीहत
क्वाड की पहली शिखर बैठक में भारत की ओर से पीएम नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन और जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा शामिल हुए। इन नेताओं ने एक बार फिर हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग को लेकर प्रतिबद्धता जताई। क्वाड नेताओं ने दक्षिण और पूर्व चीन सागर में नौवहन की स्वतंत्रता पर भी जोर दिया है।
घबराए चीन ने यह कहा था
चीन ने उक्त शिखर बैठक शुरू होने से पहले ही बयान जारी कर कहा था कि दुनिया के देशों को किसी तरह का खास समूह नहीं बनाना चाहिए और न ही किसी तीसरे देश के हितों को नुकसान पहुंचाना चाहिए।
क्या है क्वाड और क्यों पड़ी इसे बनाने की जरूरत?
मोटे तौर पर तो क्वाड चार देशों का संगठन है और इसमें भारत,अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान शामिल हैं। ये चारों देश विश्व की बड़ी आर्थिक शक्तियां हैं। ये एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी व प्रभाव को काबू में करना चाहते हैं।
मोदी, बाइडन, मॉरिसन व योशिहिदे ने लिखा साझा लेख
पहली शिखर बैठक के मौके पर क्वाड देशों के चारों प्रमुख नेताओं- पीएम नरेंद्र मोदी, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन व जापान के प्रधानमंत्री योशिहिदे ने ‘द वाशिंगटन पोस्ट’ में एक साझा लेख लिखा। इसमें कहा गया कि यह संगठन संकट के समय बना और 2007 में यह कूटनीतिक संवाद का अहम जरिया बना। 2017 में यह नए रूप में सामने आया।
शिंजो आबे ने रखी थी अवधारणा
क्वाड को लेकर एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि 2007 में जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने इसकी अवधारणा औपचारिक रूप से पेश की। हालांकि इससे पहले 2004 में हिंद महासागर में आई सुनामी के वक्त राहत कार्यों के बने समूह को भी इससे जोड़ा जाता है। 2012 में आबे ने हिंद महासागर से प्रशांत महासागर तक समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऑस्ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका को शामिल करते हुए एक ‘डेमोक्रेटिक सिक्योरिटी डायमंड’ बनाने का इरादा जताया था।
क्वाड प्लस तक पहुंची बात
क्वाड तो पहले से सक्रिय था ही अब कोविड-19 संकट के मद्देनजर हाल में अमेरिका ने क्वाड प्लस की शुरुआत की है। इसमें ब्राजील, इस्राइल, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया और वियतनाम को शामिल किया गया है। इसी तरह ब्रिटेन द्वारा भारत समेत विश्व के 10 लोकतांत्रिक देशों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाने पर विचार किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य चीन पर निर्भरता को कम करते हुए इन देशों के योगदान से एक सुरक्षित 5जी नेटवर्क का निर्माण करना है।
भारत के लिए क्वाड क्यों जरूरी?
दो प्रमुख पड़ोसी देशों चीन व पाकिस्तान के शत्रुतापूर्ण व्यवहार को देखते हुए सीमा विवाद व उससे उत्पन्न होने वाले खतरों के कारण भारत क्वाड सदस्य देशों के साथ मिलकर क्षेत्र में नई व्यवस्था स्थापित करना चाहता है। विश्व व्यापार की दृष्टि से हिंद महासागर का समुद्री मार्ग चीन के लिए महत्वपूर्ण है। यहां क्वाड की ताकत से उसे काबू में किया जा सकता है। क्वाड के सहयोग के दम पर भारत सीमा पर होने वाले तनाव से भी बेहतर ढंग से निपटन में सक्षम हो गया है।