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विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड -19 में एक नया वायरस है और सार्स सहित दूसरे वायरसों के अनुभवों के आधार पर यह पता चलता है कि बीमाज का होना कुछ सुरक्षा तो देता है। लेकिन यह साफ नहीं है कि यह कितना सही है। घुड़सवार सिनाई हैल्थ सिस्टम के क्लीनिकल अरबोरोट्रीज एंड ट्रासफ्यूजन सर्विसेज के निदेशक डॉ। जैफरी झांग के मुताबिक, परेशानी यह है कि अभी तक ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है, जो यह बताता है कि सूरजज दोबारा बीमार होने से बचा सकते हैं। मुझे लगता है कि कई लोग सोचते हैं कि कई मामलों में सुरक्षा को प्रदान किया जाएगा। लेकिन हर वक्त ऐसा नहीं होता है। यह बात उस वक्त सही साबित होती दिखाई देती है जब एक नई शोध रिपोर्ट को देखते हैं। इसके अनुसार अब तक कई परीक्षण परीक्षण के नतीजे गलत आए हैं, क्योंकि टेस्ट में ऐसा होता है कि व्यक्ति कोरोना की चपेट में आ सकता है या नहीं।
आम ब्लड टेस्ट की तरह है
विशेषज्ञ डॉ। जैफरी झांग के मुताबिक, आमतौर पर सूरजज बनने में एक सप्ताह से 14 दिन तक का समय लगता है। इनका स्तर इम्यून सिस्टम और संपर्क में आने के समय पर निर्भर करता है। हालांकि कम स्नातकोंज होने का यह मतलब भी नहीं है कि व्यक्ति स्वभाव नहीं हैं। यह एक आम ब्लड टेस्ट की तरह ही होता है।
इसलिए आवश्यक है यह परीक्षण
चरणज स्तर यह पता करने में मदद करता है कि व्यक्ति कोरोनावायरस के संपर्क में हैं या नहीं। इसका मतलब यह नहीं है कि उसका इम्यून बेहतर है। उससे लगातार सतर्कता बरती जाएगी, लेकिन सूरजज टेस्ट के जरिए पता किया जा सकता है कि व्यक्ति कॉन्वालैसेंट प्लॉट डोनेट कर सकता है या नहीं। यह योजनाकार कोरोना से जूझ रहे मरीजों के जल्दी ठीक होने में निश्चित ही मदद करता है।