कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों के कारण केंद्रीय सुरक्षा बलों में हड़कंप मचा है। सभी वर्गों में अभी तक लगभग छह सौ अधिकारियों और जवानों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। कोरोना संक्रमण की चपेट में 90 प्रतिशत से अधिक कर्मी दिल्ली में ड्यूटी देते हैं।

इस मामले में एक बड़ी डिफ़ॉल्ट सामने आई है। वो ये है कि जवानों का कोरोना टेस्ट कराने में सामान्य देरी की गई है। फरवरी, मार्च में न के बराबर और अप्रैल में गिने चुने कर्मियों के टेस्ट कराए गए। जो भी कर्मी हल्के फुल्के लक्षण के बारे में सामने आता है तो उसे क्वारंटीन केंद्र में भेज दिया जाता था। सूत्रों के अनुसार, सीआरपीएफ में कई स्थानों पर क्वारंटीन केंद्र की अवधि 14 दिन से कम रखी गई। इसी तरह दूसरे वर्गों में कई कर्मियों की यह शिकायत रही है कि मेस और बैरक में कोरोना से आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं की गई। केवल आदेश आते हैं, लेकिन उसके लिए पर्याप्त संसाधन मुहैया नहीं कराए गए।

सीएपीएफ के एक अधिकारी जो कि दिल्ली में तैनात हैं, उन्होंने बड़ी स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर शुरू में टेस्ट हो जाएं तो आज कोरोना पॉजिटिव केसों का आंकड़ा इतना ज्यादा नहीं होता।सीआरपीएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी और एसएसबी के कई बटालियन दिल्ली में तैनात हैं। । उन्हें दिल्ली पुलिस के साथ ड्यूटी दी जाती है। मरकज को खाली कराने के दौरान और उसके बाद भी दस दिन तक सीआरपीएफ की एक प्लाटून वहां तैनात रही है। यहां तक ​​कि बल कर्मियों ने यह बात भी कही थी कि जमाकर्ताओं ने कथित तौर पर उन पर थूकने का प्रयास किया था।

जब उन्हें क्वारंटीन सेंटर ले जाया गया, तब भी उनके साथ सोशल डिस्टेंसिंग को सटकर खत्म करने का प्रयास हुआ। जवानों की ड्यूटी इतनी मुश्किल थी कि उन्हें वापस आकर खुद को सैनिटरीज़ करने में काफी देर लग जाती थी। उन्हें अपने कपड़े और जूते सामान्य डिटरजेंट में साफ करने पड़ते थे। अगर किसी जवान को बहुत ज्यादा परेशानी होती है तो उसका टेस्ट कराया गया। टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसके संपर्क वाले कर्मियों को क्वारंटीन में भेजते थे, लेकिन टेस्ट में बहुत कम होते थे। साथ ही उस जवान की क्वारंटीन अवधि भी कम कर दी जाती है, जो सामान्य स्थिति में होता है।

आदेश पर आदेश आ रहा है, लेकिन संसाधनों को चुपचाप रखा जा रहा है
केंद्रीय सुरक्षा बलों में जवानों के लिए आदेश तो बहुत आते रहे हैं, लेकिन संसाधनों को लेकर सभी चुप रहते हैं। मेस और बैरक में सोशल डिस्टेंसिंग न के बराबर रही। नई दिल्ली में स्थित कुछ बैरक तो ऐसे रहे, जिनमें जवानों के सोने के बिस्तर ऊपर नीचे व बिल्कुल साथ साथ लगे हुए थे। बल कर्मियों को हाथ साफ करने, शुद्धता पहनने, पर्स घड़ी आदि को 70 फीसदी एल्कोहल वाले सैनिटाइजर से साफ करने के लिए कहा गया है।

बहुत सी बटालियन ऐसी थी, जिसमें ये संसाधन जवानों को मुहैया नहीं कराए गए थे। युवा अपने स्तर पर ही कुछ व्यवस्थाजाम करते थे। वस्त्रों को विशेष तरह के डिटरजेंट सल्लूशन में डालने का आदेश आया, लेकिन सल्लूशन नहीं मुहैया कराया गया। जवानों के पास खुद से टेस्ट कराने का कोई साधन नहीं था। उन्हें अपनी जेब से 4500 रुपये देने पड़ते थे।

उस समय किसी ने यह नहीं बताया कि इस टेस्ट के पैसे वापस कैसे होंगे। किसी भी सामान्य स्थिति वाले जवान के लिए टेस्ट निशुल्क नहीं था। बहुत से जवान ऐसे भी थे, जिनमें हल्के लक्षण दिखते थे और वे स्वयं ठीक हो जाते थे। सीआरपीएफ के नरेला और मंडोली स्थित क्वारंटीन सेंटर में बने कर्मियों ने बताया कि हम लोग टेस्ट के प्रति सचेत तो रहे, लेकिन कहां लेना है और उसके पैसे कौन देगा, वापस कब मिलेंगे, ये सब सवाल दिमाग में घूमते रहे।

अप्रैल के अंत में कुछ जवानों के टेस्ट हुए थे। अगर फरवरी और मार्च में रेंडम आधार पर टेस्ट हो जाएं तो आज कोरोना इतनी तेजी से नहीं फैलता। अधिकारियों को मालूम था कि ये युवा मरकज, विभिन्न अस्पताल, मार्ग और रेड जोन में ड्यूटी दे रहे हैं, इसलिए भी उनके टेस्ट नहीं कराए जाएंगे।

दिल्ली से कोरोना का संक्रमण दूसरी बटालियनों में पहुंच गया
राज्यस्थान के जोधपुर में बीएफएफ के 30 युवा कोरोनावायरस से संक्रमित पाए गए हैं। ये युवा दिल्ली में तैनात थे। उन्हें जोधपुर स्थित क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया था। बीएसएफ की एक कंपनी, जिसमें 65 युवा शामिल थे, उन्हें आंतरिक सुरक्षा ड्यूटी पर जयपुर से दिल्ली में तैनात किया गया था। कई जवान जामा मस्जिद में भी तैनात हैं। बीएसएफ में कोरोना के कारण दो कर्मियों की मौत हो गई। इस बल में अभी तक दो सौ से ज्यादा युवा वर्ग हो चुके हैं ।सीआरपीएफ को भी अपना एक एसआई खोना पड़ा था। इस बल में कोरोना से पीड़ित कर्मियों की संख्या दो सौ के पार हो गई है।

त्रिपुरा में बीएसएफ के 62 युवा वर्ग मिले हैं। त्रिपुरा का धलाई जिला जो कि पिछले सप्ताह तक ग्रीन जोन में था, अब वह बीएफएफ जवानों के कारण रेड जोन में तब्दील हो गया है।आईटीबीपी में 100 केस पॉजिटिव मिले हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को सभी वर्गों के महानिदेशकों की बैठक में कोरोना संक्रमण बाबत विभिन्न प्रस्तावों बरतने की हिदायत दी।अगर जरूरत है तो इसके लिए प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाए। उन्होंने मेस में खाने पीने की व्यवस्थाएं मोड़ और बैरक में रहने की सुविधा को बेहतर बनाना, जैसे कई सुझाव दिए हैं।





Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You missed