कोरोनावायरस वैक्सीन: वैक्सीन बनाने को जुटे रहने के 400 वैज्ञानिक, 40 देशों ने 800 करोड़ दिए

Bytechkibaat7

May 13, 2020 , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , , ,


कोरोनावायरस वैक्सीन
– फोटो: अमर उजाला

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कोरोना की वैक्सीन बनाने की रेस में सात से आठ संस्थाएँ आगे हैं जबकि लगभग 100 संस्थाएँ काम कर रही हैं। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रॉस एडहानोम घेबरेसस ने संयुक्त राष्ट्र इकोनॉमिक और सोशल काउंसिल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बताया कि पहले वैक्सीन को तैयार करने में 12 से 18 महीने की समय लगने की संभावना थी।

दुनिया के 40 देशों, संगठनों और बैंकों से शोध, इलाज और जांच के लिए लगभग 800 करोड़ रुपये की मदद मिलने से वैक्सीन का काम तेज हो गया है। उन्होंने कहा कि वायरस के सक्रिय होने के बाद से डब्ल्यूएचओ हजारों शोधकर्ताओं के साथ काम कर रहा है। लगभग 400 वैज्ञानिक हर घड़ी जानवरों के मॉडल और क्लीनिकल ट्रायल के मॉडल पर काम कर रहे हैं ताकि जांच और इलाज के तरीके को गति मिल सके।

स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर देना होगा
टेड्रॉस ने कहा, दोनों देशों के देश हजारों करोड़ स्स्वास्थ्य पर खर्च करते हैं जो जीवित के जीडीपी का दस प्रतिशत हैं। सबसे बेहतर निवेश स्वास्थ्य क्षेत्र में है स्वास्थ्य सुविधाओं पर अधिक जोर देना होगा। इससे बीमारियों को शुरुआती स्तर पर रोका जा सकता है जिससे लोगों की जिंदगी और पैसा बचेगा।

महामारी से सबक लेना होगा …
महामारी से बुकिंग के देशों को सबक लेना होगा। आज के हिसाब से देखें तो 2030 तक 500 करोड़ लोगों के पास जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होंगी। सबसे अधिक किल्लत स्वास्थ्यकर्मी, आवश्यक दवाओं और अस्पतालों में स्वच्छ पानी की होगी।

ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने चेतावनी दी है, खराब हालात में टीका आने में एक साल लग सकता है और हो सकता है कि इसका कोई टीका मिल ही नहीं पाया जाए। कोरोना की वैक्सीन मिलने की यकीन नहीं है।

इन परिस्थितियों के बीच भी ब्रिटेन के पीएम ने 50 पन्नों के दिशा निर्देश देते हुए लॉकडाउन में ढील के उपाय बताए, जिससे अर्थव्यवस्था को खोला जा सके। ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि हो सकता है कि हमें इस बीमारी के साथ लंबे समय तक रहना पड़े।

सार

डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रॉस एडहानोम घेबरेसस ने संयुक्त राष्ट्र इकोनॉमिक और सोशल काउंसिल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बताया कि पहले वैक्सीन को तैयार करने में 12 से 18 महीने की समय लगने की संभावना थी।

विस्तार

कोरोना की वैक्सीन बनाने की रेस में सात से आठ संस्थाएँ आगे हैं जबकि लगभग 100 संस्थाएँ काम कर रही हैं। डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रॉस एडहानोम घेबरेसस ने संयुक्त राष्ट्र इकोनॉमिक और सोशल काउंसिल को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये बताया कि पहले वैक्सीन को तैयार करने में 12 से 18 महीने की समय लगने की संभावना थी।

दुनिया के 40 देशों, संगठनों और बैंकों से शोध, इलाज और जांच के लिए लगभग 800 करोड़ रुपये की मदद मिलने से वैक्सीन का काम तेज हो गया है। उन्होंने कहा कि वायरस के सक्रिय होने के बाद से डब्ल्यूएचओ हजारों शोधकर्ताओं के साथ काम कर रहा है। लगभग 400 वैज्ञानिक हर घड़ी जानवरों के मॉडल और क्लीनिकल ट्रायल के मॉडल पर काम कर रहे हैं ताकि जांच और इलाज के तरीके को गति मिल सके।

स्वास्थ्य सुविधाओं पर जोर देना होगा

टेड्रॉस ने कहा, दोनों देशों के देश हजारों करोड़ स्स्वास्थ्य पर खर्च करते हैं जो जीवित के जीडीपी का दस प्रतिशत हैं। सबसे बेहतर निवेश स्वास्थ्य क्षेत्र में है स्वास्थ्य सुविधाओं पर अधिक जोर देना होगा। इससे बीमारियों को शुरुआती स्तर पर रोका जा सकता है जिससे लोगों की जिंदगी और पैसा बचेगा।

महामारी से सबक लेना होगा …
महामारी से बुकिंग के देशों को सबक लेना होगा। आज के हिसाब से देखें तो 2030 तक 500 करोड़ लोगों के पास जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं होंगी। सबसे अधिक किल्लत स्वास्थ्यकर्मी, आवश्यक दवाओं और अस्पतालों में स्वच्छ पानी की होगी।


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… लेकिन ब्रिटिश पीएम ने गिना दिया





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