- 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की गई तो देश का हर पांचवां कोरोनाटे केरल से था
- महज 6 हफ्ते बाद वह भारत में कोरोना संक्रमण के मामले में 16 वें स्थान पर है
दैनिक भास्कर
10 मई, 2020, 06:06 पूर्वाह्न IST
नई दिल्ली / हनोई। भारत में कोरोना का पहला मामला केरल में मिला था। यह 100 दिन पूरे हो गए हैं। तब से अब तक हालात सुधर चुके हैं। कोरोना से सामना की केरल की कहानी वैसी ही है, जैसे वहाँ की मलयालम फिल्मों की होती हैं- एक्शन, स्टाइल, थ्रिलर …। वैसी ही कहानी केरल की कोरोना से सामना की है। 24 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा की गई तो देश का हर पांचवां कोरोनाटेस्ट केरल से था और सबसे ज्यादा मामले भी थे। महज 6 हफ्ते बाद वह भारत में कोरोना संक्रमण के मामले में 16 वें स्थान पर है।
केरल ने कर्फ्यू, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और संक्रमण के लक्षणों वाले हजारों लोगों को क्वारैंटाइन कर दिया। संक्रमण को रोकने और मरीजों की पहचान के लिए ट्रेसिंग, प्लानिंग और प्रशिक्षण पर तेजी से काम किया गया। यही फॉर्मूला निपाह और इबोला वायरस के मामले में भी अपनाया गया था। निपाह के समय से ही केरल के पास मजबूत, तेज और अनुकूल स्वास्थ्य प्रणाली तैयार हो गई थी। 2018 में निपाह ने भी ऐसे ही तबाही मचाई थी, निपाह पर एक महीने में ही ओवर पाट लिया था।
9.5 करोड़ आबादी वाले वियतनाम ने आश्चर्यजनक परिणाम दिए हैं
केरल के जैसी ही स्क्रिप्ट उसके तीन गुना ज्यादा 9.5 करोड़ आबादी वाले वियतनाम की भी है, लेकिन उसने बहुत आश्चर्यजनक परिणाम दिए हैं। वह भी काय की तरह ही वायरस के संपर्क में जल्दी आ गया और संक्रमण भी तेजी से बढ़ा। इसने समान आकार वाले ताइवान और न्यूजीलैंड की तरह एक भी मौत नहीं होने दी। जबकि लगभग उनके बराबर जनसंख्या वाले देशों में 10 हजार मामले और 650 मौतें हो चुकी हैं। जैसे केरल में निपाह था, उसी तरह वियतनाम भी 2003 में सार्स और 2009 में स्वाइन फ्लू के घातक प्रकोप से जूझ चुका है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि दोनों स्थानों पर सिद्ध तरीकों का इस्तेमाल हुआ
वियतनाम में संक्रामक रोगों के विशेषज्ञ टॉड पोलक कहते हैं, ” इनकी सफलता के कारण सामान्य हैं। में उसने शुरुआत में ही तेजी से और आक्रामक कार्रवाई की और मौजूदा तरीकों का इस्तेमाल करते हुए संक्रमण का मापरा सीमित कर दिया। इससे यह हुआ कि यह घातक स्तर पर नहीं पहुंच पाया। ”
केरल और वियतनाम, दोनों ही के पास सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा और विशेष रूप से शहर के वार्डों से लेकर स्वास्थ्य के गांवों तक स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच, पर्याप्त संख्या में अनुकूल स्वास्थ्य कर्मचारी, केंद्रीकृत प्रबंधन की व्यवस्था के रूप में प्राथमिक देखभाल की मजबूती और लंबी विरासत है। है। इसी तरह का फायदा उन्हें महामारियों से निपटने में भी मिला है।
इन तरीकों को अपनाकर फैल फैलने से रोका गया
केरल ने एक लाख लोगों को क्वारंटाइन किया। अपडेटिंग के लिए 16000 टीम बनाई गई। इलेक्ट्रॉनिक्स स्टेशन बनाए दवा, भोजन और देखभाल सुनिश्चित करना। अधिकारी लगातार लोगों के संपर्क में रहे। लाखों लोगों को मुफ्त भोजन, पहुंचाया। वियतनाम ने यात्रा पर रोक लगाई। तालाबंदी की गई। स्वास्थ्य कर्मचारी के साथ सेना को भी ड्यूटी पर रखा गया। ज्यादा से ज्यादा टेस्ट किया। अकेले हनोई में लगभग 5,000 लोगों का टेस्ट और तनाव।