माउंट एवेरेस्ट पर चीन का 5 जी नेटवर्क
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हालांकि, चीन के इस अप्रत्याशित कदम का नेपाल में विरोध भी शुरू हो गया है और लोगों ने अपनी सरकार से चीन को सबक सीखने की मांग तक दूर कर दी है। चीन और नेपाल ने 1960 में सीमा विवाद के समाधान के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसका कहना है कि एवरेस्ट को दो हिस्सों में बांटा जाएगा। इसका दक्षिणी भाग नेपाल के पास रहेगा जबकि उत्तरी भाग तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के पास होगा। तिब्बत पर चीन का कब्जा है।
चीन के 5 जी नेटवर्क से भारत भी
चाइना मोबाइल और हुआवे कंपनी ने माउंट एवरेस्ट के तिब्बत की ओर से 6500 मीटर की ऊंचाई पर 5 जी इंटरनेट बेस स्टेशन का निर्माण किया। विशेषज्ञ घुड़सवार एवरेस्ट पर चीन द्वारा 5 जी नेटवर्क लगाए जाने से चिंतित है। इस कदम से पूरा हिमालय उसके जद में आ सकता है। 5 जी नेटवर्क का रणनीतिक पहलू भी है क्योंकि यह समुद्र तल से 8,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित है। इससे चीन अपने नापाक इरादों के साथ भारत, बांग्लादेश और म्यांमार पर नजर रख सकता है।
सोशल मीडिया पर ट्रोल हुआ चीन, नेपालियों ने कहा, यह हमारा गौरव है
चीन के सरकारी अस्पताल सीजीटीएन के दावे में एवरेस्ट को तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र में बताने पर नेपाल के लोग भड़क गए।) सोशल मीडिया पर भारत और नेपाल के लोगों ने चीन को ट्रोल करना शुरू कर दिया। हैशटैग बैकऑफचाइना ट्रेंडिंग करने लगा। एक यूजर ने ट्वीट में कहा, एवरेस्ट नेपाल में स्थित है न कि चीन में। फर्जी खबरें फैलाना बंद करो। वहीं, कुछ यूजर ने कहा, माउंट एवरेस्ट हमारा गौरव है और हमेशा रहेगा। एक यूजर से लिखा-चीन की इस हरकत को नेपाल की सरकार को कतई देखने नहीं देना चाहिए और इस पर चीन सरकार से मंजूरी लेनी चाहिए।