- देश में लॉकडाउन का तीसरा फेज 17 मई को खत्म होने वाला है, लेकिन 18 से नए रंग के साथ फिर से शुरू हो सकता है
- कम आय वर्ग की जल्द मदद नहीं की, तो पोषण और गरीबी की वजह से होने वाली अन्य समस्याओं में वृद्धि होगी
दैनिक भास्कर
13 मई, 2020, 12:58 PM IST
नई दिल्ली। कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार ने जिस लॉकडाउन की शुरुआत 25 मार्च से की थी, उन तीन फेज के बाद चौथे फेज में भी जारी रहेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को इस बात की घोषणा की। इस बीच केंद्र फॉर सपोर्टिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के एक सर्वे में कहा गया कि लॉकडाउन एक सप्ताह और आगे बढ़ा, तो भारतीय परिवारों में से एक तिहाई से अधिक के पास जीवनयापन के लिए जरूरी संसाधन खत्म हो जाएंगे। बता दें कि लॉकडाउन का तीसरा फेज 17 मई को खत्म होने वाला है।
84% से अधिक घरों में मासिक आमदनी में गिरावट
सेंटर फॉर सपोर्टिंग इंडियन इकोनॉमी ने कोरोनावायरस की वजह से लगे लॉकडाउन से घरेलू आमदनी पर आधारित स्टडीज गया है। जिसमें कहा गया है कि भारत के 84 प्रतिशत से अधिक घरों की मासिक आमदनी में गिरावट दर्ज की गई है। देश में कामकाजी आबादी का 25 प्रतिशत हिस्सा इस बार बेरोजगार हो गया है।
देश में 34% घरों की स्थिति खराब है
इस बारे में केंद्र फॉर सपोर्टिंग इंडियन इकोनॉमी के चीफ इकनॉमिस्ट कौशिक कृष्णन ने कहा, “अगर पूरे देश की बात करें तो 34 फीसदी घरों की स्थिति खराब हो गई है। उनके पास एक सप्ताह के लिए जीवन जीने के लिए जरूरी बचे हैं। एक सप्ताह के बाद उनके पास कुछ भी नहीं रहेगा। ” उन्होंने ये भी कहा कि समाज में कम आय वर्ग के लोगों को तुरंत मदद किए जाने की जरूरत है। इसके लिए ऐसे वर्ग के लोगों को जल्द ही ट्रांसफर करने की जरूरत है। यदि सरकार जल्द ही मदद नहीं करती तो कुपोषण और गरीबी की वजह से होने वाली अन्य समस्याओं में भी तेजी से बढ़ सकती है।
2.70 करोड़ युवाओं की नौकरी चली गई
सीएमआईई की स्टडी के मुताबिक देश में बेरोजगारी के आंकड़े भी तेजी से बढ़े हैं। 21 मार्च को भारत में बेरोजगारी की दर 7.4 प्रति थी, जो 5 मई को बढ़कर 25.5 प्रतिशत हो गई है। स्टडी के मुताबिक देश में 20 से 30 साल आयु वर्ग के 2 करोड़ 70 लाख युवाओं को अप्रैल में नौकरी से हाथ धोना पड़ा है।
बिहार, हरियाणा, झारखंड जैसे राज्यों की चिंता
बेरोजगारी बढ़ने के कारण देश के ज्यादातर घरों की आमदनी में कमी आई है। यदि भारत के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो शहरी क्षेत्रों में 65 प्रति परिवारों के पास 1 सप्ताह से अधिक के लिए रहने के संसाधन बचे हैं, जबकि ग्रामीण घरों में 54 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके पास 1 सप्ताह से अधिक के रहने के लिए हैं। ब संसाधन बाहे हैं। दिल्ली, पंजाब और कर्नाटक जैसे राज्यों में लॉकडाउन का असर कम हुआ है, जबकि बिहार, हरियाणा और झारखंड जैसे राज्यों में लोन की वजह से लोगों की आमदनी पर काफी असर पड़ा है।
इस स्टडी को सेंटर फॉर सपोर्टिंग इंडियन इकोनॉमी के चीफ इकनॉमिस्ट कौशिक कृष्णन, शिकागो यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर मैरिएन बर्ट्रेंड और यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया में व्हार्टन स्कूल के सहायक प्रोफेसर हीथर शॉफिल्ड द्वारा लिखा गया है।