विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भविष्यवाणी की थी कि दुनिया में चीन के बाद कोरोना से दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित देश ताइवान होगा। लेकिन आज 440 मामले और सिर्फ छह मौत से ड्रैगन के इस पड़ोसी ने भविष्यवाणी को बिल्कुल गलत साबित कर दिया।
इस सफलता के पीछे जो शख्स का बड़ा योगदान है, वह ताइवान के उपराष्ट्रपति और महामारी विशेषज्ञ डॉ। चेन चिएन-जेन। 68 वर्षीय जेन दुनिया में इकलौते ऐसे नेता बन कर उभरे हैं, जिन्होंने इस संकट में दोहरी जिम्मेदारी निभाकर देश को सुरक्षित रखा है। इसी तरह, जेन ने बतौर स्वास्थ्य मंत्री सार्स संक्रमण के दौरान ही अगले महामारी से सामना का खाका तैयार कर लिया था।
यही कारण है कि कोरोनाचल में उनके नेतृत्व में ताइवान ने संक्रमण पकड़ने, वैक्सीन निर्माण से लेकर टेस्टिंग किट बनाने में तेजी से काम किया।]उनकी बुद्धिमता और जनसेवा के जज्बे के कारण पूरे देश ने उन्हें प्यार से ’बड़े भाई की बुलाता है। उनके वैज्ञानिक व राजनीतिक प्रयासों से ही आज ताइवान मॉडल दुनिया के सामने मिसल बना है।
दिसंबर में ही भांप लिया गया था
31 दिसंबर को जब वुहान में निमोनिया से लोगों का बीमार होना बताया गया, तब जेन ने अगले खतरे को भांप लिया था। उनके एक्शन प्लान के तहत तैयारियां शुरू हो गई हैं। ताइवान ने चीन से आ रही उड़ानों को सीमित कर दिया। लोगों की स्क्रीनिंग कर उन्हें क्वारंटीन किया जाने लगा। सीमाएँ सील कर दीं। नेशनल हैल्थैंड सेंटर के तहत सेंट्रल एपिडेमिकैंड सेंटर को सक्रिय कर दिया।
2003 में जब सार्स फैला, तब जेन को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। उस दौरान उन्होंने सिलसिलेवार जनस्वास्थ्य सुधारों को अंजाम दिया। उनका ध्यान अगली महामारी से निपटने की तैयारियों करने पर हो रहा है। उन्होंने केवल आपदा प्रबंधन केंद्र स्थापित किया।
17 साल पहले ही आइसोलेशन वार्ड से लेकर वायरस शोध प्रयोगशालाएं बना दी गई थीं। डॉक्टरों के लिए पीजीई किट मेकिंग, संक्रामक रोग कानून में संशोधन जैसे कई कदम उठाए गए। इसका फायदा 2009 में स्वाइन फ्लू के दौरान मिला, तो अब कोरोना से जल्द सामना में इन सुविधाओं का भरपूर इस्तेमाल हुआ।
पहले मामले में ही युद्ध स्तर पर सक्रियता आती है
21 जनवरी को ताइवान में प्रथम श्रेणी मिली। पहले से तैयार ताइवान सरकार और स्वास्थ्य तंत्र महामारी के खिलाफ युद्धस्तर पर जुट गए। सरकार ने तत्काल कार्य करने की क्षमता बढ़ा दी। लोगों को फोन पर दिखने जाने लगे कि कौन से इलाके में जाना सुरक्षित है?
कहां-कहां उपलब्ध हैं? जनवरी के अंत तक ताइवान के पास साढ़े चार करोड़ सर्जिकल फेस हो गए हैं। सभी मंत्रालय मिलकर नीतियां बनाते हैं, लागू करने लगे हैं। इसी का नतीजा है कि 110 दिन बाद संक्रमण 400 लोगों तक ही सीमित रह गया है।
जेन ने डब्ल्यूएचओ को वायरस के इंसान से इंसान में फैलने की चेतावनी दी थी। वुहान में मरीजों का इलाज कर रहे डॉ और मेडिकल स्टाफ के बीमार होने की जानकारी भी मिलने लगी थी। पर, डब्ल्यूएचओ ने itgunitableity से नहीं लिया।
पिता से राजनीति में सुधार का रास्ता सीखा
जेन के पिता दक्षिणी ताइवान में बड़े राजनेता रहे हैं। जवानी में ही वह राजनीति से परिचित हो गए थे। जेन का कहना है, मैंने पिता से सीखा कि राजनीति का मकसद एक-दूसरे के खिलाफ सिर्फ लड़ाई नहीं है। इसे आप बड़े सुधारों का जरिया बना सकते हैं। ताइवान के उप-प्रधानमंत्री चेन ची-मई कहते हैं कि जेन जैसे बुद्धिमान सत्ता की परवाह नहीं करते हैं।
जेन का मानना है कि ताइवान दुनिया को कोरोना से उबरने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। ताइवान सरकार उनके माध्यम से डब्ल्यूएचओ की सदस्यता पर भी जोर लगा रही है। चंद दिन बाद 20 मई को जेन पद छोड़ रहे हैं। इसके बाद वे कोरोना पर गहन अध्ययन शुरू करेंगे। भले ही वे अब राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं होंगे, लेकिन सीखने में उन्हें ताइवान की सफलता के लिए हमेशा याद रखना होगा।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भविष्यवाणी की थी कि दुनिया में चीन के बाद कोरोना से दूसरा सबसे ज्यादा प्रभावित देश ताइवान होगा। लेकिन आज 440 मामले और सिर्फ छह मौत से ड्रैगन के इस पड़ोसी ने भविष्यवाणी को बिल्कुल गलत साबित कर दिया।
इस सफलता के पीछे जो शख्स का बड़ा योगदान है, वह ताइवान के उपराष्ट्रपति और महामारी विशेषज्ञ डॉ। चेन चिएन-जेन। 68 वर्षीय जेन दुनिया में इकलौते ऐसे नेता बन कर उभरे हैं, जिन्होंने इस संकट में दोहरी जिम्मेदारी निभाकर देश को सुरक्षित रखा है। इसी तरह, जेन ने बतौर स्वास्थ्य मंत्री सार्स संक्रमण के दौरान ही अगले महामारी से सामना का खाका तैयार कर लिया था।
यही कारण है कि कोरोनाचल में उनके नेतृत्व में ताइवान ने संक्रमण पकड़ने, वैक्सीन निर्माण से लेकर टेस्टिंग किट बनाने में तेजी से काम किया।]उनकी बुद्धिमता और जनसेवा के जज्बे के कारण पूरे देश ने उन्हें प्यार से ’बड़े भाई की बुलाता है। उनके वैज्ञानिक व राजनीतिक प्रयासों से ही आज ताइवान मॉडल दुनिया के सामने मिसल बना है।
दिसंबर में ही भांप लिया गया था
31 दिसंबर को जब वुहान में निमोनिया से लोगों का बीमार होना बताया गया, तब जेन ने अगले खतरे को भांप लिया था। उनके एक्शन प्लान के तहत तैयारियां शुरू हो गई हैं। ताइवान ने चीन से आ रही उड़ानों को सीमित कर दिया। लोगों की स्क्रीनिंग कर उन्हें क्वारंटीन किया जाने लगा। सीमाएँ सील कर दीं। नेशनल हैल्थैंड सेंटर के तहत सेंट्रल एपिडेमिकैंड सेंटर को सक्रिय कर दिया।
डेढ़ दशक पहले कर ली थी आज की तैयारी …
2003 में जब सार्स फैला, तब जेन को स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया था। उस दौरान उन्होंने सिलसिलेवार जनस्वास्थ्य सुधारों को अंजाम दिया। उनका ध्यान अगली महामारी से निपटने की तैयारियों करने पर हो रहा है। उन्होंने केवल आपदा प्रबंधन केंद्र स्थापित किया।
17 साल पहले ही आइसोलेशन वार्ड से लेकर वायरस शोध प्रयोगशालाएं बना दी गई थीं। डॉक्टरों के लिए पीजीई किट मेकिंग, संक्रामक रोग कानून में संशोधन जैसे कई कदम उठाए गए। इसका फायदा 2009 में स्वाइन फ्लू के दौरान मिला, तो अब कोरोना से जल्द सामना में इन सुविधाओं का भरपूर इस्तेमाल हुआ।
पहले मामले में ही युद्ध स्तर पर सक्रियता आती है
21 जनवरी को ताइवान में प्रथम श्रेणी मिली। पहले से तैयार ताइवान सरकार और स्वास्थ्य तंत्र महामारी के खिलाफ युद्धस्तर पर जुट गए। सरकार ने तत्काल कार्य करने की क्षमता बढ़ा दी। लोगों को फोन पर दिखने जाने लगे कि कौन से इलाके में जाना सुरक्षित है?
कहां-कहां उपलब्ध हैं? जनवरी के अंत तक ताइवान के पास साढ़े चार करोड़ सर्जिकल फेस हो गए हैं। सभी मंत्रालय मिलकर नीतियां बनाते हैं, लागू करने लगे हैं। इसी का नतीजा है कि 110 दिन बाद संक्रमण 400 लोगों तक ही सीमित रह गया है।
डब्ल्यूएचओ को चेताया गया था … पर मुकदमा नहीं हुआ
जेन ने डब्ल्यूएचओ को वायरस के इंसान से इंसान में फैलने की चेतावनी दी थी। वुहान में मरीजों का इलाज कर रहे डॉ और मेडिकल स्टाफ के बीमार होने की जानकारी भी मिलने लगी थी। पर, डब्ल्यूएचओ ने itgunitableity से नहीं लिया।
पिता से राजनीति में सुधार का रास्ता सीखा
जेन के पिता दक्षिणी ताइवान में बड़े राजनेता रहे हैं। जवानी में ही वह राजनीति से परिचित हो गए थे। जेन का कहना है, मैंने पिता से सीखा कि राजनीति का मकसद एक-दूसरे के खिलाफ सिर्फ लड़ाई नहीं है। इसे आप बड़े सुधारों का जरिया बना सकते हैं। ताइवान के उप-प्रधानमंत्री चेन ची-मई कहते हैं कि जेन जैसे बुद्धिमान सत्ता की परवाह नहीं करते हैं।
20 मई को पद छोड़ देंगे, लेकिन दुनिया भर में संगी
जेन का मानना है कि ताइवान दुनिया को कोरोना से उबरने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। ताइवान सरकार उनके माध्यम से डब्ल्यूएचओ की सदस्यता पर भी जोर लगा रही है। चंद दिन बाद 20 मई को जेन पद छोड़ रहे हैं। इसके बाद वे कोरोना पर गहन अध्ययन शुरू करेंगे। भले ही वे अब राजनीतिक रूप से सक्रिय नहीं होंगे, लेकिन सीखने में उन्हें ताइवान की सफलता के लिए हमेशा याद रखना होगा।