- जनवरी से मार्च के दौरान एजुकेशन पोर्टल पर चलने के मामले में तीन गुना ज्यादा बढ़ोत्तरी हुई है
- लाॅकडाउन में ऑफ़लाइन अध्ययन पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
दैनिक भास्कर
09 मई, 2020, 03:55 अपराह्न IST
कोरोना महामारी से बचने के लिए लागू लॉकडाउन में ज्यादातर काम के लिए हम ऑनलाइन बेवसाइट्स पर निर्भर हो गए हैं। इन दिनों ऑफ़लाइन अध्ययन पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है। कई एजुकेशनल पोर्टल खुल गए हैं। लाखों लोग ओई क्लासेस ले रहे हैं। ऐसे में साइबर अटैक के मामले भी बढ़े हैं। शनिवार को एक रिपोर्ट पेश की गई है कि इसके अनुसार, वर्ष 2020 के पहले तीन महीने के दौरान एजुकेशन पोर्टल पर गोलीबारी के मामलों में तीन गुना वृद्धि देखी गई है। यह साइबर अटैक डिस्ट्रीब्यूटेड डेनियल ऑफ सर्विस (डीडैस, डीडीओएस) डीडास के जरिए किया गया है।
मौजूदा स्थिति का फायदा उठा रहा है डीडीओएस
साइबर सिक्योरिटी कैस्पर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस समय जब लोग अपने घरों में बंद हैं और डिजिटल संसाधनों पर निर्भर हैं। ऐसे समय में डीडास मौजूदा स्थिति का फायदा उठा रहा है। जनवरी महीने से कोरोनावायरस महामारी शुरू हुई है। इस दौरान ऑफ़लाइन संसाधनों में बढ़ी मांग के कारण साइबर अटैक के मामले में भी तेजी से वृद्धि हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक, हैकर्स का फोकस सबसे महत्वपूर्ण डिजिटल सेवाओं पर रहता है जिसका लाकडाउन में लोग ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है।)
क्या होता है DDoS?
इस तरह के साइबर हमले हैकर्स साइट पर एक साथ लाखों-करोड़ों लोगों की सोवियत कर देते हैं, ताकि वह ठप पड़ जाए। इस तरह के हमले में अगर एक नेटवर्क पर हमले का जाम लग जाता है तो इसका दूसरा नेटवर्क भी ओवरलोड का शिकार हो जाता है और लोगों को साइट खोलने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इंटरनेट ट्रैफिक जाम होने की वजह से साइट खुलने में देरी, इंटरनेट का धीमा चलना और बार-बार चैट होने से लोग परेशान हैं। बता दें कि साल 2016 में मुंबई में इस तरह का बड़ा हमला किया गया था। इस संबंध में आईटी कंपनी जॉइस्टर ने मुंबई पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी।