डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 11 मई 2020 05:57 अपराह्न IST
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सभी प्रशिक्षण को एस्कोर्ट कर उनके मुकाम तक पहुंचाया गया। विशेष बात ये रही कि राह में ट्रक चालकों और उनके सहयोगियों की कोरोना जांच भी की गई। जोजिला से कारगिल तक के दुर्गम सड़क मार्ग पर यह यात्रा लगभग 21 दिनों में पूरी हुई है।
वाहनों के काफिश में तेल से भरे टैंकर और पार्किंग सामग्री के लिए भारी वाहन शामिल हैं। इन सड़कों को बेहद दुर्गम सड़क मार्ग जोजिला से कारगिल तक सुरक्षा प्रदान की गई। कई जगह पर आइटमीबीपी के हिमवीरों ने सड़क किनारे खड़े होकर सड़क को आगे खींच लिया।
रात के समय तो कई जगह पर सड़क के किनारे का पता नहीं चल रहा था। जो खतरनाक प्वाइंट थे, वहां पर अतिरिक्त लाइट की व्यवस्था की गई। आगे के आगे आईटीबीपी का वाहन चल रहा था। लॉकडाउन के चलते इन दुर्गम इलाकों में लोगों के रहने तक समय पर राहत सामग्री नहीं पहुंच पा रही थी।
कई जगह ऐसे थे, जहां भारी बर्फबारी और लैंड स्लाइडिंग के चलते आगे बढ़ना असंभव सा हो गया था। आईटीबीपी के युवा 24 घंटे तक माइनस 10 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में काम करते रहे।
अलग-अलग स्थानों पर को विभाजित स्क्रीनिंग पॉइंट्स बनाकर और अन्य वाहन स्टाफ को स्क्रीन भी किया गया। बता दें कि यह इलाका देश के दुर्गम और अति सुदूर क्षेत्रों में शामिल है। लगभग डेढ़ लाख स्थानीय लोग पूरी तरह से नौकरी की सप्लाई लाइन पर ही निर्भर करते हैं।
इस अभियान में सोशल डिस्टेंसिंग का भी ध्यान रखा गया। आईटीबीपी की मेडिकल विंग के डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों ने भी इस अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आईटीबीपी के नॉर्थ वेस्ट न्यूयर लेह ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर इस पूरे अभियान को अंजाम दिया है।