- सैलरी कट होने, रोजगार कम होने और कंपनियों की बैलेंसशीट कमजोर होने से बिगड़ेगी स्थिति
- कई सेक्टर्स में नियुक्तियां बंद हो चुकी हैं। जॉब फाइंडवालों को अपनी उम्मीदें कम करनी होंगी
दैनिक भास्कर
05 मई, 2020, 09:06 अपराह्न IST
मुंबई। लिंक्डइन (लिंक्डिन) के एक सर्वे के मुताबिक, सैलरी कट होने, रोजगार कम होने और कंपनियों की बैलेंस टेबल कमजोर होने से अगले छह महीने में आईटी, मीडिया और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की हालत और खराब होगी।
आने वाले समय में हालात सुधरने वाले नहीं हैं
कोविद -19 के प्रसार की वजह से इकोनॉमी का बुरा हाल है। ऐसे में अगर आप यह मानकर चल रहे हैं कि आने वाले वक्त में हालात सुधरेंगे तो ऐसा नहीं है। लिंक्डइन के डेवलपर के मुताबिक वर्तमान में इस तरह की सूरत नजर नहीं आ रही है। लिंक्डइन, कंप्यूटर की सबसे बड़ी व्यावसायिक नेटवर्क है। इसके डेवलपर के मुताबिक, “कई सेक्टर्स में नियुक्तियां बंद हो चुकी हैं। जॉब खोजने वालों को अपनी उम्मीदें कम करनी पड़ रही हैं। क्योंकि नए मौके कम हैं।”
शॉर्ट टर्म में परिस्थिति आगे चलकर और खराब हो जाएगी
लिंक्डइन के सेकेंडरी वर्कफोर्स कॉन्फिडेंस इंडेक्स के मुताबिक, हर 5 में से 2 मीडिया प्रोफेशनल्स का कहना है कि उनकी कंपनी की स्थिति अगले 6 महीने में काफी खराब रही है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में काम करने वाले हर 4 में से एक शख्स और आईटी सेक्टर में हर 5 में से एक शख्स का यही मानना है कि शॉर्ट टर्म में हालात आगे चलकर और खराब होंगे। लिंक्डइन ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि यह तनाव विशेष रूप से बिजनस लीडर्स पर ज्यादा है क्योंकि 27 प्रतिशत इंडियनविजुअल योगदानकर्ताओं की तुलना में 39 प्रतिशत सीनियर एक्जिक्यूटिव ने कम आय की बात कही है।
हर तीन में से एक भारतीय की आमदनी कम हुई है
डेवलपर के निष्कर्षों से यह भी पता चला है कि हर तीन में से एक भारतीय की आमदनी तो कम हुई ही है, साथ ही नए रोजगार के मौकों में भी कमी आई है। अगले दो हफ्तों में 48 प्रतिशत सक्रिय जॉब खोजने वाले और 43 प्रतिशत फुल टाइम प्रोफेशनल्स को आशंका है कि नए मौके अगले कुछ हफ्तों में कम होंगे। लिंक्डइन के सेकेंड वर्कफोर्स कॉन्फिडेंस इंडेक्स के अनुसार भविष्य की संभावनाओं को लेकर प्रोफेशनल्स के कॉन्फिडेंस में बहुत कमी आई है।
इसके अनुसार, लगभग 48 प्रतिशत जॉब सीकर का मानना है कि आने वाले दिनों में रोजगार के मौके कम होंगे। हालांकि यह पिछले 15 दिनों के मुकाबले बहुत अधिक है। लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर लोग ऑनलाइन लर्निंग पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं। लिहाजा इसका आंकड़ा 64 प्रति से बढ़कर 67 प्रति हो गया है।