- ज्यादा से ज्यादा लोन टूएफएल और उसकी कंपनियों को दिए गए थे
- 6 मई को ईडी ने इस मामले में विशेष न्यायालय में चार्जशीट फाइल कर दी है
दैनिक भास्कर
07 मई, 2020, 03:13 बजे IST
मुंबई। यस बैंक ने गुरुवार को भले ही बैलेंसशीट में लोन की बड़ी राशि को राइट ऑफ करके मार्च तिमाही में मुनाफा दिखा दिया, लेकिन इसके मालिक राणा कपूर की मुश्किलें और बढ़ रही हैं। बैंक के पूर्व एमडी रवनीत गिल ने ईडी को दिए बयान में आरोप लगाया कि दोएफएल को दिए गए लोन में नियमों की अनदेखी की गई थी।
राणा कपूर को हटाकर रवनीत गिल को बनाया गया था
ईडी ने 6 मई को राणा कपूर उनकी पत्नी और बेटियों के खिलाफ मुंबई के विशेष पीएमएलए कोर्ट में स्कैम से जुड़े मामले में चार्जशीट दायर की है। बता दें कि राणा कपूर को हटाने के बाद रवनीत गिल को 1 मार्च 2019 को बैंक की कमान दी गई थी। हालांकि बाद में आरबीआई ने उन्हें हटाकर अपना प्रशासक रख दिया। इसके बाद एसबीआई ने बैंक में 49 प्रतिशत हिस्सा ले ली। ईडी ने राणा कपूर को मार्च में हस्तक्षेप के बाद गिरफ्तार किया था। राणा कपूर को ईडी ने 8 मार्च को गिरफ्तार किया था। अभी वह न्यायिक हिरासत में हैं।
राणा कपूर पर मृत लांड्रिंग सहित कई आरोप लगे हैं
राणा कपूर पर कई आरोप हैं जिनमें मनी लंड्रिंग का भी समावेश है। यस बैंक के खराब क्रेडिट कल्चर, कमजोर कंपलाएंस कल्चर, पावर डीसेंट्रलाइज्ड और इंस्टीट्यूशनलाइजेशन की कमी की वजह से रवनीत गिल को लेकर आया था। गिल ने 11 मार्च को ईडी के समक्ष अपना बयान दिया था जिसे ईडी ने कपूर के खिलाफ चार्जशीट में शामिल किया है। यस बैंक के पूर्व कार्यकारी निदेशक रवनीत गिल ने एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट (ईडी) को बताया कि राणा कपूर ने नियमों की अनदेखी करते हुए रियल्टी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (एनएफएल) को लोन दिया है। इस लोन की वजह से ही यस बैंक पर बैड लोन का बोझ बढ़ा और बैंक धराशायी हो गया। गिल ने यह भी आरोप लगाया है कि यस बैंक में राणा कपूर के 10 करोड़ शेयर निप्पॉन एसेट मैनेजमेंट को बेचे। राणा कपूर की बेटियों की कंपनियों ने निप्पॉन एसेट मैनेजमेंट से लोन लिए थे जिनको चुकाने के लिए राणा कपूर ने ये शेयर बेचे थे।
2018 में यस बैंक ने डीएफएल का डिबेंचर्स 3,700 करोड़ रुपये में खरीदा
दरअसल ईडी पूरे मामले में संदिग्ध लेनदेन की जांच पर फोकस कर रहा है। इसमें 2018 में दो एफएल को दिया गया है लोन प्रमुख है। यस बैंक ने अप्रैल से जून 2018 के बीच 3700 करोड़ रुपये में दो एफएल का डिबोंड्र्स किया था। बाद में दोएफएल के प्रमोटर कपिल वाधवन ने राणा कपूर और उनके परिवार के सदस्यों को बिल्डर लोन के तौर पर 600 करोड़ रुपये का पेमेंट किया। बैंक ने इसी तरह टूएफएल ग्रुप की कंपनी बिलीफ रियल्टर्स को 750 करोड़ रुपए का लोन पास किया था। राणा कपूर की अगुवाई में यस बैंक के प्रबंधन क्रेडिट कमता (एमसीसी) ने 750 करोड़ रुपये का यह लोन 18 जून 2018 को किया था। लोन देने के बाद बैंक की रेटिंग और गिर गया।
बैंक की इंटर्नल रेटिंग डाउनग्रेड होने के बावजूद किसी भी कंपनी को एक्सटर्नल रेटिंग के लिए नहीं बुलाया गया था। लोन देने के लिए क्रीम से कोई पेपर नहीं मांगा गया था। गिल ने बताया कि बिलीफ रियल्टर्स का प्रोजेक्टर्स लेवल पर था और इसके कई अप्रूवल लेना बाकी था। इसमें रिहैबिलिटेशन के लिए क्लम के लोगों से मंजूरी भी लेना था। यह प्रोजेक्ट प्रीमियम रेजिडेंशियल अपार्टमेंट बनाकर बेचने वाला था जिसकी कीमत 20 करोड़ रुपये से शुरू होती है।