एक बर्खास्त अमेरिकी वैज्ञानिक ने आरोप लगाया है कि ट्रम्प प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान से हाइड्रो हाइडॉक्सीक्लोरोक्विन दवा की शुरूआत पर कई चेतावनियों के बावजूद अमेरिकी डॉक्टरों की चिंताओं को नजरअंदाज की। वैज्ञानिक ने कहा कि ये दवाएं जांच बिना जांच की गई फैक्ट्रियों ’के कारण बनीं, जबकि अमेरिकी अधिकारियों को उनकी खराब गुणवत्ता के बारे में पहले ही बता दिया गया था।
व्हिसलब्लोअर्स के सुरक्षा संबंधी कार्यालय यूएस ऑफिस ऑफ स्पेशल काउंसेल के समक्ष की गई शिकायत में रिक ब्रिट ने कहा, स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवाओं और निजी सुरक्षा उपकरण के संबंध में उनके व अन्य लोगों के सुझाव बार-बार नजरअंदाज किए। गए।
बता दें कि जब ब्राइट को बर्खास्त किया गया था तब वह स्वास्थ्य एवं मानव सेवा (एचएचएस) विभाग के साथ काम करने वाली अनुसंधान एजेंसी बायोमेडिकल एडवांस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट एजेंसी के प्रमुख थे। रिक ब्रिट ने अपनी शिकायत में कहा कि वह पाकिस्तान और भारत से दवा के आयात को लेकर अत्यधिक चिंतित थे क्योंकि एफडीए ने दवा या उसे बनाने वाली फैक्ट्री का निरीक्षण नहीं किया था।
ऐसे में वहाँ बनने वाली दवाएँ मिलावटी भी हो सकती हैं जबकि देश में मलेरिया रोधी दवाएँ बहुत हैं।
इसलिए किया गया ब्राइट को बर्खास्त
रिक ब्रिट ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि ट्रम्प प्रशासन उनके और उनके विभाग की बात सुनने का इच्छुक नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ इसलिए बर्खास्त किया गया क्योंकि उन्होंने कोरोनावायरस बीमारी से सामना करने के लिए ‘सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित’ समाधानों पर निधि खर्च करने पर जोर दिया, न कि ऐसी ‘दवाओं, टीकर या अन्य तकनीकों’ पर जो वैज्ञानिक तरीके पर खरे नहीं उतरते।
एक बर्खास्त अमेरिकी वैज्ञानिक ने आरोप लगाया है कि ट्रम्प प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान से हाइड्रो हाइडॉक्सीक्लोरोक्विन दवा की शुरूआत पर कई चेतावनियों के बावजूद अमेरिकी डॉक्टरों की चिंताओं को नजरअंदाज की। वैज्ञानिक ने कहा कि ये दवाएं जांच बिना जांच की गई फैक्ट्रियों ’के कारण बनीं, जबकि अमेरिकी अधिकारियों को उनकी खराब गुणवत्ता के बारे में पहले ही बता दिया गया था।
व्हिसलब्लोअर्स के सुरक्षा संबंधी कार्यालय यूएस ऑफिस ऑफ स्पेशल काउंसेल के समक्ष की गई शिकायत में रिक ब्रिट ने कहा, स्वास्थ्य एवं मानव सेवा विभाग के शीर्ष अधिकारियों ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवाओं और निजी सुरक्षा उपकरण के संबंध में उनके व अन्य लोगों के सुझाव बार-बार नजरअंदाज किए। गए।
बता दें कि जब ब्राइट को बर्खास्त किया गया था तब वह स्वास्थ्य एवं मानव सेवा (एचएचएस) विभाग के साथ काम करने वाली अनुसंधान एजेंसी बायोमेडिकल एडवांस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट एजेंसी के प्रमुख थे। रिक ब्रिट ने अपनी शिकायत में कहा कि वह पाकिस्तान और भारत से दवा के आयात को लेकर अत्यधिक चिंतित थे क्योंकि एफडीए ने दवा या उसे बनाने वाली फैक्ट्री का निरीक्षण नहीं किया था।
ऐसे में वहाँ बनने वाली दवाएँ मिलावटी भी हो सकती हैं जबकि देश में मलेरिया रोधी दवाएँ बहुत हैं।
इसलिए किया गया ब्राइट को बर्खास्त
रिक ब्रिट ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि ट्रम्प प्रशासन उनके और उनके विभाग की बात सुनने का इच्छुक नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्हें सिर्फ इसलिए बर्खास्त किया गया क्योंकि उन्होंने कोरोनावायरस बीमारी से सामना करने के लिए ‘सुरक्षित और वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित’ समाधानों पर निधि खर्च करने पर जोर दिया, न कि ऐसी ‘दवाओं, टीकर या अन्य तकनीकों’ पर जो वैज्ञानिक तरीके पर खरे नहीं उतरते।